डर-भय

by | Nov 1, 2010 | 1 comment

– डॉ. कमल किशोर सिंह

डर बहुरुपिया बनि के आवे,
हरदम दिल दुआरी पे.
कइसे जान बचाईं आपन,
कतना चलीं होशियारी से?

चिकन चेहरा से हम डरीं
की बढ़ल केश मूँछ दाढ़ी से?
भय भगवान से केकरा नइखे,
काहे ज्यादा भय पुजारी से ?

पढ़ल लिखल लोगन से डरीं
की गँवई, अपढ़, अनाड़ी से ?
मईल, कुचैल, निकपडी से
की डरीं सूट-बूट धारी से ?

निर्धन भूखा मजदूर से डरीं
की ठाकुर सेठ पटवारी से ?
चोर-लूटेरा से हम डरीं
की आरक्षक अधिकारी से ?

कागज़ कलम कानून से डरीं
की हसली हल कुदारी से ?
पुलिस सिपाही से हम डरीं,
की डरीं नक्सलबाड़ी से ?

सोचतानी – डरीं हम दवाई से
की बचीं हम बीमारी से ?


डा॰कमल के पहिले प्रकाशित रचना

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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