हे भगवान भोजपुरी के कब्बो भासा के दरजा मति मिलो..

प्रभाकर पाण्डेय गोपालपुरिया

भोजपुरी, भोजपुरी, अउरी खाली भोजपुरी. जहें देखऽ तहें भोजपुरी. हाँ भाई, खदेरुआ के देखऽ न. चारू ओर घूमि-घूमि के खाली इहे कहता की हम भोजपुरी के विकास में तन-मन से लागल बानी. हम चाहतानी कि भोजपुरी के खूब विकास होखो, एह के भाषा के दरजा मिलो.

खदेरुआ सालि में दु-चारि गो भोजपुरी के सम्मेलनो करावऽता अउर भोजपुरिया रत्नन क साथे खूब फोटो खिंचवावता. अरे एतने ना केतने भोजपुरियन के त उ नया-नया पदवी से नवाजऽता. एगो ना कई-कई गो भोजपुरी संस्थन से जुड़ल बा; कवनो के अध्यछ बा त कवनो के मंत्री अउर भोजपुरी की विकास खातिर कई देसन के जतरो करत रहऽता.

एगो अउरी बात बता दीं. खदेरुए की भइले हमरो गोटी चम बा. केतने नेतन की संघे हमार उठल-बइठल सुरु हो गइल बा. भले हमरा भोजपुरी के क, ख, ग, घ नइखे मालूम बाकिर भोजपुरिया समाज नाहीं भाई, अउरियो समाजन में हमार तूती बोलऽता. लोग हमके समेल्लनन में इनवाइट करऽता, हमके सम्मानित करऽता अउर हमहुँ इस्टेजे पर चढ़ि के भोजपुरी के विकास खातिर ओके भासा के दरजा दिआवे खातिर एगो लंबा-चौड़ा भासन दे दे तानी.

एक दिन के बाति हऽ, खदेरुआ हम के बोलवलसि अउर डँटलसि, कहाँ सुत्तल रहऽ तारऽ मरदे? एहींगा हाथ पर हाथ ध के बइठल रहबऽ तऽ दूसरका कुलि बाजी मारि ले जइहें.

हम कहनी कि, खदेरु भाई, हम समझनी ना कि तूँ का कहल चाहऽतारऽ? हमरी एतना कहते खदेरुआ क देहीं में त आगि लागि गइल. कहलस, मति समझऽ, एहिंगा जे नइखे समझत तो लोग ओकरो के नइखे समझत. अरे भाई हमरी कहले के मतलब ई बा कि भोजपुरी संबंधी कवनो न कवनो काम करत रहऽ, जइसे सम्मेलन करावल नाहीं त सम्मेलनन में भागि लेहल, अउर अगर इ नइखे हो पावत त नया-नया दिवसन के घोसना क देहल करऽ. अउर हाँ, अगर इहो पार नइखे लागत तऽ कवनो साइट पर केहू के उलटा-सीधा कहल सुरु कऽ दऽ. कुछु नाहीं होई त लोग तोहउओके कुछु कहबे करी. अरे हमरी कहले के मतलब बा गरिअइबे न करी, का बिगड़ि जाई. भोजपुरी खातिर एतनो नाहीं सहि सकेलऽ?

आगे खदेरुआ कहल सुरु कइलसि, तनको दबिहऽ मति. नाहीं त ढील देबऽ त ऊ काम तोहसे पहिले दूसर केहु क के गोटी मारि ले जाई अउर तूँ तकते रहि जइबऽ. (जइसे भोजराजा दिवस के घोसना कऽ के रमइया बाजी मारि ले गइल अउर तूँ हाथ मिसत रहि गइलऽ. एकरी बाद तोहरा भोज रानी दिवस के घोसना करे के परल रहे.)

पता ना काँहे हमार जीव तनि उकबिक होखे लागल अउर हम कहि बइठनि, ए खदेरु भाई, तूँहूँ मरदे का बतिआवतारऽ? अरे भाई, हमरा भोजपुरी के चिंता नइखे. हमरा त आपन चिंता बा. भोजपुरी क नाँव पर त हम आपन रोटी सेंकऽतानी. देखतारऽ नाम अउर दाम दुनु मिलऽता.

खदेरुआ कहलसि, अरे भाई, त हम कहाँ कहऽतानि कि तूँ आपन रोटी मति सेंकऽ. बाकिर अगर अउर आगे जाए के बा त करऽ-धरऽ कुछ मत. बस भोजपुरी-भोजपुरी कइले रहऽ. सबसे पहिलका काम तूँ सम्मेलनन में जेके-जेके सम्मानित करबऽ, उहो लोग त जब सम्मेलन करी तहउ के सम्मानित करबे करी. अरे भाई, एह में त एक हाथ से द त दूसरा से ले लऽ वाली बात बा. भोजपुरी के कवनो संस्था बना के दु-चार आदमी के डालि द, एह से भले भोजपुरी के ना पर तोहार त फायदा होखबे करी. भोजपुरी संबंधी कवनो संस्था बनी तऽ ओमें तहरो नाँव त रहबे करी.

खदेरुआ आगे कहल जारी रखलसि, देखऽ भाई, अगर ए लाइन में रहे के बा, कमाए के बा (पइसा नाहीं भाई नाँव) तऽ नेतन क तरे घोसना कइल करऽ. कबो ओ घोसनन के पूरा मति करऽ, ना पूरा होखे दऽ.

ऊ काहें ए खदेरु भाई ? हम पूछि बइठनी.

खदेरुआ हँसल अउर कहलसि, उ काहें? तोहरा नइखे बुझात? अरे भाई अगर आजु भोजपुरी के भासा के दरजा मिली जाई, भोजपुरी संबंधी समस्यावन के समाधान हो जाई त अपनो रोजी-रोटी बंद हो जाई अउर बिहने से जे तोहरी आगे कुत्तन की तरे दुम हिलावऽता उहे तोहके दुरदुरा दी. तब ना तूँ सम्मेलन क पइबऽ ना नया-नया दिवस मना पइबऽ. अउर हँ, एतने ना, हर तरे से बरबाद हो जइबऽ.

खदेरुआ के बाति सुनि के हमार त देहिए सुन्न हो गइल. हम त लगनी भगवान से गोहरावे, हे भगवान! भोजपुरी के ना कब्बो भासा के दरजा मिलो ना भोजपुरी संबंधी समस्यावन के समाधान होखो. इ सदा लटकल रहो...............जय भोजपुरी.

ए लेख लिखले की पीछे सबसे बड़ा कारन ई बा की भोजपुरी के हजारन संस्था कुकुरमुत्तन क तरे उगि आइल बानी सन. बाकिर का सही में ए से भोजपुरी के विकास हो ता? का भोजपुरिया एकजुट हो के भोजपुरी अउर भोजपुरिया समाज के विकास में योगदान दे पावऽता? अरे भाई भोजपुरी खातिर अगर कुछु करे के बा त सकारात्मक कइल जाव, बाति कम काम जेयादे कइल जाव. भोजपुरी के एतना विकास क देहल जाव कि सरकार से भोजपुरी के भासा के दरजा देबे के माँग मति करे के पड़ो. बलुक भोजपुरी के विकास-जतरा देखि के सरकार खुदे ए के भासा के दरजा अपनी मोन्ने दे देवऽ. अउर हमरी देखले से जवनेगाँ महुआ आदि भोजपुरी चैनल, भोजपुरी सिनेमा, कईगो भोजपुरी पत्र-पत्रिका अउर कुछ भोजपुरी के सही सेवक काम क रहल बा लोग. ए से ई लागऽता कि बहुत जल्दिए भोजपुरी के ओकर सही मान-सम्मान मिली के रही. बाकिर भोजपुरी के मान-सम्मान दिअवले में भोजपुरी सम्मेलन, संस्था आदि काम ना अइहें. बलुक सकारात्मक काम जवन ई चैनल, पत्र-पत्रिका आदि क रहल बानी सन ओही क बदउलत ए के सनमान मिली.

जय भोजपुरी..


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लेख का विचार से संपादक के सहमत होखल जरुरी नइखे, ना ही असहमत होखल. जब तक ले आलोचना विषयपरक रहे तबले ओकरा के उचित जगहा दिहल जरुरी होला. एह लेख के कवनो व्यक्ति, संस्था, वेबसाइट, पत्र पत्रिका, सम्मेलन से जोड़ के ना बलुक एकरा समग्रता में देखल जरुरी बा. एह लेख का जवाब में रउरा आपन विचार भेज सकीलें आ अगर आलोचना कवनो व्यक्तिविशेष के नइखे त जरुर प्रकाशित कइल जाई. अपना विचार का साथ आपन परिचय, आ मोबाइल नम्बर जरुर लिख भेजीं.- संपादक, अंजोरिया

(Added on 8th Jan. 2010)