गंगा एक्सप्रेस वे क शिलान्यास

१५ जनवरी २००८ के जोड़ल सामग्री

मायावती अपना ५२ वां जनमदिन पर यूपी के लोगन के गंगा एक्सप्रेस वे के उपहार दिहली. १५ जनवरी २००८ के नोएडा से बलिया तकले बने वाला आठ लेन के गंगा एक्सप्रेस वे के शिलान्यास लखनऊ में कइली. सड़क बनावे के ठेका जेपी एसोसिएट के मिले के उमेद बा काहे कि ओकरे टेण्डर सबले कम के रहुवे.

राजनीति में विरोधि हर बाति के विरोध करे लागेलन. गंगा एक्सप्रेस वे के भी खिलाफ समाजवादी पार्टी, भाजपा, आ कांग्रेस का संगे संगे वीपी सिंह, एनजीओ वगैरह कई लोग आ संस्था कर रहल बा. ई फैसन हो गइल बा कि जब कबो कवनो अइसन काम होखो जवना से आम जनता के फायदा लउकत होखो त कुछ खानदानी विरोधी लोग लट्ठ लेके ओह काम का खिलाफ खाड़ हो जाला. देश के जनमानस में जातिवाद के जहर घोले वाला वीपीसिंह जइसन लोग अइसनका काम में सबले आगा रहेला.

अब आईं देखल जाव गंगा एक्सप्रेस वे बनला से का फायदा होखे वाला बाः

  • दिल्ली से बलिया दस घन्टा में चहुँपल जा सकेला.
  • नोएडा से चल के ई सड़क गौतम बुद्ध नगर, बुलन्दशहर, बदायूं, शाहजहाँपुर, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, सन्त रविदास नगर, मिर्जापुर, बनारस, गाजीपुर होत बलिया तक ले चहुँपी.
  • दादरी में गंगा एक्सप्रेस वे दिल्ली मुम्बई फ्रेट कारीडोर से जुड़ जाई. एहसे युपी के बिजनेस खातिर आयात निर्यात आसान हो जाई.
  • पूरा पूंजी निवेश विकास करे वाली कम्पनी करी. निवेश के वापसी खातिर ओकरा के जमीन दिहल जाई जवना के विकसित करिके ऊ आपन लागत निकाल ली.
  • एह जमीन पर बने वाला औद्योगिक क्षेत्र आ कालोनी से पूरा यूपी के कायाकल्प हो सकेला.
  • काम धन्धा बढ़ला से नियोजन के अवसर बढ़ी. किसान आ व्यापारी अपना सामान के बिक्री निकहा भाव पर कर सकीहें.
  • गंगा का बाढ़ से प्रभावित होखे वाला लोग के राहत मिली.
  • गंगा एक्सप्रेस वे खातिर जेकर जमीन लिहल जाई ओह लोगन खातिर मुआवजा का साथे साथ पुनर्वास खातिर जमीनो देबे के व्यवस्था कइल जाई. भरसक अनउपजाऊ जमीने लिहल जाई. जेकर घरवास के जमीन एह काम में लाग जात बा ओकरा के ग्रामीण क्षेत्र में २५० वर्गमीटर तक भा शहरी क्षेत्र में १५० वर्ग मीटर तक जमीन दिहल जाई. अधिगृहीत जमीन पर बने वाला आवास में से १५ फीसदी ओह लोग खातिर आरक्षित कर दिहल जाई.
  • प्रभावित परिवार के हर महीना कम से कम २५ दिन के कृषि मजदूरी साल भर ले दिहल जाई.

गंगा एक्सप्रेसवे : दिल्ली से बलिया ले.

As on 6th Sept. 2007

बुध का दिन लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती घोषणा कइली कि नोएडा से शुरु होके बलिया तक करीब १००० किलोमीटर लमहर आठ लेन वाली सड़क बनावे खातिर यूपी कैबिनेट के मंजूरी मिल गईल बा. ऐह महत्वाकांक्षी परियोजना से पूर्वाञ्चल के पिछड़ापन दूर करे खातिर एगो बड़हन आधार मिल जाई.

ताज एक्सप्रेसवे खातिर बदनाम मायावती फेर एगो रिस्क लिहले बाड़ी. कहे वाला तऽ ढेरे कह सुन सकेलें बाकिर हमार मान्यता हऽ कि जवन नेता कुछ जायज आ जरुरी काम करे ओकर ढेर नुक्ताचीनी कईला से समाज के नुकसान होला. बेईमान आ बदनाम लोगन से भरल राजनीति में साधू खोजे के कोशिशे नाजायज कहाई.

गंगा एक्सप्रेसवे से पश्चिमी यूपी बुन्देलखण्ड आ पूर्वञ्चल एक दोसरा से आसानी से जुड़ जईहन. हमरा अगर कबहीं सरकार चलावे के मौका मिल जाव तऽ पहिलका साल में हम सब काम रोक के खाली सड़क बनवईतीं. बाकि काम ओकरे से लोगबाग अपने से कर ली. दोसरा साल स्कूल के हालत सुधारे पर धेयान दिहती. लड़िका लड़किन के बढ़िया से पढ़ा लिखा दऽ आ आवे जाये के सुविधा दे दऽ तऽ आजु का मुक्त अर्थ व्यवस्था में विकास के बाकी काम उद्यमी अपनहीं कर लीहें.

अतना निमन काम बिना विरोध के हो जाई ई तऽ सोचलो बेकार बा. पहिलका विरोध करे वाला में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इण्डिया आपन नाम पहिलहीं शामिल करा चुकल बाटे. ओकरा आपत्ति बाटे कि एह गंगा एक्सप्रेसवे का बनला से ओकरा करोड़न रुपिया के टोल टैक्स से हाथ धोवे के पड़ी. नेशनल हाईवे अथारिटी अबहीं जवन चार लेन वाला सड़क बनवा रहल बा ओकरा पर चले वाली गाड़ियन के गिनती घट जाई आ टोल टैक्स के आमदनीयो. नेशनल अथारिटी कोलकाता से दिल्ली वाली स्वर्णिम चतुर्भुज वाली सड़क के पचहत्तर फीसदी काम करवा चुकल बा. बाकी काम अगिला साल तक ले पूरा कर लेबे के उम्मेद बाटे. दोसरे प्रस्तावित गंगा एक्सप्रेसवे का अगल बगल में नेशनल अथारिटी बारह गो हाइवे बनावे का काम में लागल बाटे. उहो सब सड़क एकरा से नुकसान में चलि अइहन सऽ.

राज्य सरकार एह एक्सप्रेसवे खातिर केन्द्र से पर्यावरण अनुमति मिल चुकल बाटे आ अब एह सड़क के बनवावे खातिर कन्सलटेन्ट खोजात बाड़न. ई सड़क बनला से राज्य के हर भाग के फायदा होखे वाला बा. हर एरिया से एह सड़क के जोड़े खातिर रोड बनिहन सऽ. कहे खातिर तऽ ई सड़क गंगा एक्सप्रेस कहात बाटे बाकिर ई बनि गंगा से तीन से पाँच किलोमीटर का दूरी पर. जमीन भरसक वइसन लिहल जाई जवन ऊसर होखे आ जवना चलते कम से कम लोगन के उनुका पैतृक जमीन से उखाड़े के जरुरत पड़े. वइसे हर विकास का संगे विनाश कुछ हद तक ले जुड़ले रहेला. पुरनका के विनाश कर के नयका के निर्माण होला. गंगा एक्सप्रेसवे का किनारे किनारे उद्योग, व्यापार, आ आवासीय निर्माण करे के अनुमति देके निजी निवेश बिटोरहूँ के योजना बा जवना का चलते राज्य पर वित्तीय बोझ मत पड़ो.

अगिला साल जनवरी २००८ में एकर शिलान्यास करे के आ तीन साल का भीतरे निर्माण काम पूरा करे लेबे के योजना बनल बा. एह योजना पर कुल चालीस हजार करोड़ रुपिया, मतलब कि हर किलोमीटर पर चालीस करोड़ रुपिया, के खरचा आवे के हिसाब लगावल बा. नोएडा से चल के ई सड़क गौतम बुद्ध नगर, बुलन्दशहर, बदायूं, शाहजहाँपुर, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, सन्त रविदास नगर, मिर्जापुर, बनारस, गाजीपुर होत बलिया तक ले चहुँपी. स्वाभाविक होखी यदि बिहारो सरकार एह रोड से जोड़ के पटना ले जाये के प्लान बना लेव तऽ.