नरेन्द्र मोदी एगो आदमी आ कि विचारधारा

As on 23 Dec. 2007

अक्टुबर २००१ में गुजरात के मुख्यमंत्री बने का पहिले नरेन्द्र मोदी के बहुते कम लोग जानत रहुवे. साधारण पिछड़ा परिवार में जनमल नरेन्द्र मोदी शुरुवे से संघी विचारधारा का संपर्क में आ गइलें आ बाद में संघ के प्रचारक बन गइलें. संयोग कुछ अइसन बनल कि गुजरात में भाजपा का भीतरी मतभेदन का चलते उनका के मुख्यमंत्री बनावल गइल. संघ के इ पहलका प्रयोग रहुवे जवना में कवनो प्रचारक के शासन प्रमुख बनावल गइल.

मुख्यमंत्री बनला का बाद नरेन्द्र मोदी का शासनकाल में एगो अइसन घटना भइल जवना से पूरा देश दहल गइल. अयोध्या से लवटत कारसेवकन से भरल साबरमती एक्सप्रेस के एगो डिब्बा के गोधरा का लगे फूंक दिहल गइल. भीतर के सवारी भागियो ना पवलें आ जिअते जर मुअलें. होखे के त चाहत रहुवे कि पूरा देश एक आवाज में एह घटना के निन्दा करीत. बाकिर सबका मुँह पर जाबी लाग गइल रहे. मुअना वोट पालिटिक्स का चलते अपना देश में नाजायज के नाजायज कहल सम्भव नइखे.

एगो महिला प्रधानमंत्री के मरइला का बाद पूरा देश में दंगा फइल रहुवे आ तबके नौजवान प्रधानमंत्री कहले रहन कि जब कवनो बड़ पेड़ गिरेला त धरती हिलबे करेला! गोधरा में त कइ गो निर्दोषन के जान गइल रहुवे. सेकुलर जमात कहलस कि अयोध्या के प्रतिक्रिया में इ भइल बा. बाकिर जब गोधरा के प्रतिक्रिया भइल त सबका साँप सूंघ गइल. पूरा गुजरात दहक उठल. उ त नरेन्द्र मोदी जइसना आदमी के शासन रहुवे कि कड़ाई से दंगा पर कन्ट्रोल कइ लिहलें. एह क्रम में कतने हिन्दू दंगाइ मारल गइलें, कतान पर मुकदमा चलल कतना के सजाय भइल, एह सब के तुलना सन ८४ का सिक्ख विरोधी दंगा से कइल जा सकेला. जवना के अपराधी आज ले छुट्टा घूमत बाड़न.

होखे के त चाहत रहे कि बाद में पूरा देश नरेन्द्र मोदी के साथ दित कि अतना जल्दी अतना भयंकर दंगा पर काबू पा लिहलन बाकिर सेहू ना भइल. सेकुलर जमात के एगो निशाना मिल गइल जवना के गरिया के, ऊ आपन राजनीति आपन पत्रकारिता चमकावत रहो. छोट छोट बातन के बतकुच्चन कइल गइल. देश के कइ गो राज्यन में उनुका के अघोषित रुप से अस्वागत योग्य आदमी मान लिहल गइल. दुष्प्रचार अतना भइल कि अमेरिका उनका के वीसा देबे से नकार दिहलसि. गुजरात के कोर्टन पर सन्देह कइल गइल, मुकदिमा दोसरा राज्यन में चलावल गइल. केहू ना पुछल कि के बा एह सब का पाछा.

नरेन्द्र मोदी दंगा से टूटल राज्य, भुकम्प से पीड़ित राज्य, तूफान से बरबाद राज्य के एकसुरिआ होके विकास के राह पर बढ़वलन. राजीव गाँधी प्रतिष्ठानो के माने के पड़ल कि देश के सबले बढ़िया शासित राज्य गुजरात बा. गुजरात के जनता मोदी के एकनिष्ठता का सहारे मिलल वैभव के लाभ उठावे लागल. नरेन्द्र मोदी के छह साल के शासन का बादो केहू उनका ईमानदारी पर अंगुरी ना उठा सकल.

कवनो आदमी भा कवनो संस्था के विकास के तीन गो कड़ी होला. पहिले लोग ओकर उपेक्षा करेला, फेर विरोध, आ आखिर में थाकहार के ओकरा साथे चल पड़ेला. नरेन्द्र मोदी के विरोधी खाली बहरिए होखसु अइसनका ना रहल. पार्टीओ के लोग उनुका पाछा पड़ गइल. भाजपा में बाजपेयी का बाद नरेन्द्र पहिलका नेताबनलन जे जनता के नब्ज पहिचानत होखे. ओकरा के मंत्रमुग्ध करि सके अपना साथ लेके चलि सके. नरेन्द्र मोदी का सोझा देश के नेता बने के सपना नइखे. एहसे ऊ वोट पालिटिक्स का बन्हन में नइखन. ओह लालच में आडवाणी के जवन करतब करे के पड़ल तवन सबका सोझा बा. अपना कट्टर छवि के मुलायम करे खातिर ऊ जिन्ना के प्रशंसा करे तक गिर गइलें. कुछ दिन पार्टी में विरोध के सामना करे के पड़ल आ अब फेर से भाजपा के नेतृत्व करे के मौका मिल गइल. जिन्ना प्रकरण से फायदा इ भइल कि राजग में विरोध के आवाज ना उठ सकल.

बाकिर मोदी एह सब से मुक्त अपना विचारधारा पर कायम रहलन. एह साल के चुनाव ऊ पूरा तन्मयता से विकास का मुद्दा पर लड़त रहन. सोनिया से बरदाश्त ना भइल आ ऊ अइसन बयान दे घलली कि राजनीति के बयार बदलि गइल. अबकी के जीत के दावेदार अगर कवनो एगो आदमी के मानल जा सकेला त ऊ आदमी हवे जे सोनिया के भाषण लिखलसि आ सोनिया क मुँह से कहवा दिहलसि कि गुजरात में मौत के सौदागरन के राज बा. बाद में कुछ कमाल हमनी के कमबोलता प्रधानमंत्री ओ कर बइठलन जब ऊ कह दिहलन कि कांग्रेस के सराकर बनी त गोधरा दंगा के फाइल फेर से खोलल जाई. अरे भाई सिक्ख विरोधी दंगा के फाइल खोलवा दिहत त सिक्खो लोग के कुछ सन्तोष भेंटाइत कि ऊह लोग पर भइल अत्याचार के न्याय मिल पाई. बाकिर ना. उनुका सिक्ख पालिटिक्स से त कुछ भेंटाए के नइखे. मुस्लिम पालिटिक्स से फेर कुछ मिल सकेला.

खैर अब जब मोदी का नेतृत्व में हर विरोध के हरा के भाजपा फेर से विजयी भइल बा त जरुरत बा कि पूरा देश विचार करो कि ओकरा कइसन पालिटिक्स चाहीं? विकास के आ कि खाली वोट बैंक के? पूरा समाज के एक पैमान पर मापल जाई कि अलगा अलगा पर? काश्मीर से लेके कन्याकुमारी तक हिन्दूऽन पर अत्याचार होखे त सब केहू मुँह बन्द कर ली. बाकिर गुजरात में कवनो आतंकी मरा जाई त आसमान मूड़ी पर उठा लिहल जाई? अगर सेकुलर जमात अपना के ना सुधरलस त पूरा देश के गुजराती राजनीति का ओरि धकेले में ओकर सबले बड़ योगदान रही.

मोदी के जीत खाली मोदिए के जीत ना हऽ, पूरा देश के आम जनता के मनोभावना के जीत हऽ. धुर विरोधिओ इ बाति मने मन मनिहें, कहीहें ना. काहे कि उनुका साँप पोसे के धन्धा बा! देश के दुशमनो के ऊ सजाय देबे में कोताही करेलें जेहसे कि उनुकर वोट बैंक सही सलामत रहो. ना त अबले अफजाल के फाँसी मिल गइल रहित. सुप्रीम कोर्ट तक ओकर फाँसी के सजा बहाल रखलसि बाकिर कांग्रेस सरकार अबले ऊह सजाय के तामिल ना करवलसि. का ऊ चाहत बा कि आतंकी निफिकिर होके आतंक फइलावसु कि पकड़ाइओ गइला पर सजाय ना होखी!