नवीन चावला : एगो विवादित व्यक्ति

Navin Chawla

नवीन चावला के आखिरकार मुख्य चुनाव आयुक्त बनावे के एलान करिये दिहल गईल. संवैधानिक संस्थानन के गरिमा घटावे खातिर जानल जाये वाली कांग्रेस पार्टी का रिकार्ड में एगो आउरी करिखाईल पन्ना जोड़ दिहल गईल.

नवीन चावला के १३ मई २००५ के चुनाव आयुक्त बनावल गइल रहे आ ओहि दिन से चावला के विरोध शूरु हो गईल रहे. चावला के खासियत ई रहे कि :

  • इन्दिरा गाँधी के लगावल आपात काल का दौरान ऊ दिल्ली के लेफ्टिनेन्ट गवर्नर के सचिव रहलन आ आपात काल में भरपूर अधिकई कईलन जवना खातिर शाह आयोग उनका के तानाशाही सुभाव वाला आ जनहित का खिलाफ काम करे वाला बतवले रहुवे.
  • शाह कमीशन कहले रहे कि नवीन चावला कवनो सार्वजनिक पद पर रहे लायक नईखन.
  • नवीन चावला के ट्रस्ट लाला चमनलाल एजुकेशनल ट्रस्ट खातिर चार गो कांग्रेसी सांसद पईसा दिहले रहलन. आ कांग्रेस सरकार ट्रस्ट बने से पहिलहीं ट्रस्ट का नाम पर उनका के छह एकड़ जमीन दे दिहले रहुवे.

एह सब का चलते भाजपा के आरोप रहे कि चावला निष्पक्ष रह के काम ना कर सकस एहसे उनका के चुनाव आयुक्त ना बनावे के चाहीं. २००६ में भाजपा अपना राजग सहयोगियन का साथे मिल के २०० सांसदन के हस्ताक्षर का साथ राष्ट्रपति के ज्ञापन दिहले रहे कि चावला के हटा दिहल जाव.

मामिला सुप्रीमो कोर्ट में गईल रहे जहां कहल गइल कि एह मामला के चुनाव आयोग का लगे ले जाईल जाव.

संविधान का अनुसार कवनो चुनाव आयुक्त के मुख्य चुनाव आयुक्त का राय से हटावल जा सकेला दोसरा केहू का राय से ना.

चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त का लगे मामिला पेश भईल त ऊ चावला से जवाब मंगलन. चावला दिसम्बर में आपन जवाब दिहलन आ जनवरी में पांच गो राज्यन के चुनाव होखे वाला रहे. एह चलते मुख्य चुनाव आयुक्त फरवरी में राष्ट्रपति के आपन राय भेजलन कि नवीन चावला निष्पक्ष ना हो सकस आ उनका के आयोग से हटा देबे के चाहीं.

गोपालास्वामी के सलाह जगजाहिर होखते केन्द्र सरकार के कानून मंत्री बोललन कि ई राय दे के गोपालास्वामी आपन बुढ़ापा खराब कर लिहलन. ईहो कहल गईल कि चावला के हटावल ना जाई.

बाद में राष्ट्रपति ई मामिला केन्द्र सरकार के राय खातिर भेज दिहली आ केन्द्र सरकार से उहे राय मिलल जवना के अनेसा रहे. कहल गईल कि मुख्य चुनाव आयुक्त का लगे अइसनका राय देबे के अधिकारे नईखे. लिहाजा तीन दिन पहिले राष्ट्रपति भवन से खबर आईल कि नवीन चावला के हटावे के राय ना मानल जाई. आ आजु एलान कर दिहल गइल कि नवीन चावला २० अप्रेल से मुख्य चुनाव आयुक्त बन जइहन. ओहि दिेने गोपालास्वामी रिटायर होखे वाला बाड़न.

अब मामिला फेर से सुप्रीम कोर्ट का लगे जनहित याचिका का रुप में ले जाईल गईल बा. कोर्ट से एह मामिला के जल्दी सुनवाई करे के निहोरा कईल गईल त सुप्रीम कोर्ट सुनवाई खातिर २० मार्च के दिन तय कर दिहलस.

मामिला एगो नवीन चावला के नईखे. मामिला बा कि चुनाव आयोग के निष्पक्ष रहे दिहल जाई कि ना. जइसे कांग्रेस का राज में राष्ट्रपति शासन के जम के दुरुपयोग भईल, राष्ट्रपतियन से मनचाहा कागज पर दस्तखत करवावल गईल, देश में लोकतंत्र आ संविधान के भावना के जम के उल्लंघन भईल ओहि तरह अब चुनाव आयोग के दुरुपयोग कईल जाई.

खास कर के एह चुनाव में आयोग के जवाबदेही बढ़ गईल बा काहे कि पूरा अनेसा बा कि कवनो पार्टी भा गठबन्हन के साफ बहुमत ना मिल पाई. एह बीचे बहुत जगहा हो सकेला कि मतगणना में विवाद हो जाव आ आयोग के हस्तक्षेप करे के पड़े. ओह हालात में नवीन चावला जईसन मुख्य चुनाव आयुक्त से बेसी उमेद राखल बेवकूफी होखी. ई बहुते बड़ अचरज के बात होखी अगर चुनाव आयोग के कुरसी विक्रमादित्य के कु्र्सी वाली कहानी सच कर देव कि जे ओह पर बईठी ऊ अन्याय ना कर पाई.

बाकिर हमरा उहो दिन इयाद बा जब इंदिरा गाँधी आपातकाल में चुनाव करववले रहुवी आ हार गईल रही. देश के जनता अन्याय के बरदाश्त ना करी आ भारत के पाकिस्तान ना बने दीहि. एगो अनाम कवि के हिन्दी कविता दे रहल बानी जवन आपातकाल में लिखल गईल रहे बाकिर आजुवो सामयिक बा

पूरी दुनिया पर
अंधेरे की चादर फेंक कर
निशा रानी खुश हो रही है कि
चारो तरफ उसका ही साम्राज्य है.

पर पगली यह नहीं जानती कि
कल सुबह
जब सूरज की पहली किरण निकलेगी
वह अपना नंगा बदन छिपाने को
कमरों बरामदो के कोने ढूंढ़ती फिरेगी.

(As on 4th March 2009)