तसलीमा नसरीन, के हई? का हई?

As on 25 Nov., 2007.

तसलीमा आजु काल्ह चर्चा में बाड़ी. मुस्लिम विरोध का चलते पश्चिम बंगाल से निकल के राजस्थान आ फेर ओहिजा से निकल के दिल्ली का राजस्थान भवन में ठहरल तसलीमा आजु के भारत के बेबसी के तस्वीर बनि के उभरल बाड़ी जहाँ कुछ मुट्ठी भर लोग सभकर जिअल हलकान करिके रख दिहले बा.

तसलीमा नसरीन के जनम पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान में १९६२ का अगस्त महीना मे भइल रहे. ऊ हिस्सा बांगला देश का रुप में १९७१ में आजाद हो गइल, एहि चलते तसलीमा बांगलादेशी कहा ली.

एगो परम्परावादी मुसलमान परिवार में जनमल तसलीमा के शुरुवे से साहित्य से लगाव रहुवे. स्कूले का जमाना से ऊ साहित्यिक पत्रिकन में लिखे लगली. मेडिकल कालेज में पढ़तो घरी उनकर लिखल चालू रहल आ डाक्टर बनला का बाद रुकल ना.

तसलीमा के पहिलका किताब १९८६ में प्रकाशित भईल रहे बाकिर मशहूर भइली अपना दूसरा किताब से जवन १९८९ में छपल. ओकरा बाद त ऊ कई गो पत्र पत्रिकन के नियमित लेखक बन गइली. मुसलमान रहतो मुस्लिम समुदाय में मेहरारुवन के हालात से दुखी नसरीन खास करिके नारी समस्या पर सशक्त लेखनी बनि के उभरली.

१९९० में मुस्लिम कट्टरपंथी ऊनुका किताब लज्जा से खिसिया के उनुका खिलाफ आन्दोलन शुरु कर दिहलें. एह किताब में बांगलादेश में हिन्दूवन पर होखे वाला अत्याचार के चित्रण बा. उनका पर, उनुका से जुड़ल अखबारन का आफिसन पर हमला बढ़त गइल आ संगही संगही उनुका जिनिगी पर खतरा. १९९३ में उनुकर सिर कलम करे के फतवा जारी भइल. बांगलादेश सरकारो उनुका पर दबाव डललसि कि ऊ लिखल बन्द करि देस. ऊ बन्द ना कइली त उनुका के ढाका मेडिकल कालेज का नौकरी से निकाल दिहल गइल.

मुस्लिम उग्रवादी तत्व उनका खिलाफ संगठित होत गइलें आ बांगला देश के सरकारो उनुका पर आम आदमी के भावना भड़कावे का आरोप में मुकदिमा चला दिहलसि.मजबूरन तसलीमा भूमिगत हो गइली. बाद में विश्व जनमत का दबाव पर उनुका के जमानत त दे दिहल गइल बाकिर एह शर्त पर कि ऊ बांगलादेश छोड़ दिहन. कुछ दिन तक त ऊ यूरोप में रहली बाकिर अपना भाषा आ संस्कृति से प्यार का चलते ऊ बांगलादेश ना त कलकत्ते सही मान के कोलकाता में रहे लगली.

एहूजी उनुका के चैनसे रहे देबे खातिर मुस्लिम उग्रवादी तइयार नईखन. अबहीं हाल ही में जब ऊ हैदराबाद गइल रहली तब उनुका पर ओहिजा के एगो मुस्लिम विधायक हमला कर दिहले रहन. केहु तरे ओहिजा से जान बचा के निकललि.

अब जब पूरा पश्चिम बंगाल नन्दीग्राम का मामिला पर उत्तेजित रहल हा तब कवनो षडयन्त्र का मोताबिक तसलीमा के मामिला उठवा दिहल गइल. कोलकाता में मुस्लिम प्रदर्शण अतना उग्र हो गइल कि सेना बोलावे के पड़ि गइल. सेना आके मामिला सम्हरलसि.

एही बीच धीरे से तसलीमा पर दबाव बना के उनका के राजस्थान जाये खातिर मजबूर कर दिहल गइल. अगस्तो में उनुका पर दबाव डालल गइल रहुवे कि ऊ कोलाता छोड़ि देस. जयपुर चहुँपे का पहिले ओहिजो मुसलमान विरोध खातिर खाड़ हो गइलन. सीपीएम आ कांग्रेस का चाल में ना फँसि के राजस्थान के भाजपा सरकार तसलीमा के दिल्ली में राजस्थान भवन में रख दिहलसि. अब सुरक्षा के जिम्मेवारी दिल्ली सरकार के बा भा केन्द्र सरकार के. भाजपा दोसरा दलन के साथ संसद में मांग कइलसि कि तसलीमा के भारत के नागरिकता दे दिहल जाव. जब लाख लाख बांगलादेशी रिफ्यूजी गैरकानूनी ढंग से भारत मेँ रहि रहल बाड़न आ कवनो पार्टी ओकनी के निकाले खातिर कड़ाई करे के तइयार नइखे त एगो मेहरारू शरणार्थी आउरी बढ़ि जाई त का बिगड़ि जाई?