सुजीत कुमार का निधन से मर्माहत बा भोजपुरी सिनेमा जगत

Sujit Kumar अपना जमाना में भोजपुरी के भोजपुरी के सुपर स्टार रहल सुजीत कुमार का निधन से पूरा भोजपुरी फिल्म इण्डस्ट्री दुखी, मर्माहत बा. मनोज तिवारी कहलें कि भोजपुरी सिनेमा के पहिलका सुपर स्टार रहलें सुजीत कुमार. संगही संगे ऊ एगो निमन इंसानो रहलें जिनकर कमी बहुत दिन ले खली. सदाबहार अभिनेता कुणाल सिंह सुजीत कुमार का निधन पर दुख जतावत कहलें कि उनका से बहुते कुछ सीखे के मिलल आ करीब दस फिलिम में दुनु जने साथे काम कइले रहलें.

यूपी के चंदौली जिला के छोटहन सा गाँव बबुरी के सुजीत कुमार जब बालीवुड के सफर शुरु कइलन त उनका किशोर कुमार के साथे सहायक का तौर पर काम करे के मौका मिलल. बाद में ऊ आपन प्रोडक्शन कंपनी श्री शिव भक्ति शुरु कइलन आ कई गो फिलिम बनवलन. फिल्मी कैरियर का बारे में कुछ बात उनही के शब्दन में -

सन् ईं. 1960 में हम फिल्म लाइन में अइलीं आ हीरो बने थोड़े आइल रहीं, पढ़ाई करे आइल रहीं. बी.काम कइलीं. फेर सोसियालाजी में पोष्ट ग्रेजुएशन कइलीं. तबही किशोर कुमार के फिल्म दूर गगन की छाँव में मौका मिलल. दू सौ रूपया तनख्वाह पर असिस्टेंट के काम करे लगनी. बाकिर ओह से हमार मन ना भरे. मन में त कवनो कलाकार बइठल रहे. देखे में सुन्दर-सुघर आ हृष्ट-पुष्ट रहबे कइलीं. किस्मत साथ देलस आ तिवारी जी के फिल्म लागी नाही छूटे राम में बतौर हीरो हमरा के साइन कइल गइल. साइनिंग एमांउट रहे ढ़ाई हजार रूपिया. बाकिर शूटिंग के कुछ दिन पहिले पता चलल कि लागी नाहीं छूटे राम में हमरा जगह असीम कुमार के ले लीहल गइल. कारन पूछला पर पता चलल कि फिल्म के हिरोइन कुमकुम हमरा के रिजेक्ट क देली ह . हम बहुत दुखी भइलीं. मन में बहुत तकलीफ पहुंचल . एक बेर त मन कइलस कि ई लाइने छोड़ दीं. बाकिर होइहें वोही जोई राम रचि राखा . ओही समय बच्चू भाई शाह (गुजराती) बिदेसिया फिल्म में हमरा के हीरो के रूप में साइन कइलें. कहल जाला कि दूध के जरल मट्ठा फूंक-फूक के पियला. हम बच्चू भाई से कहलीं कि ना भाई ना हम फिल्म में काम ना करब . कहीं फिल्म के हिरोइन हमरा साथे काम करे से इंकार क दीहली तब. जबाब में तपाक से बच्चू भाई कहलें कि तब हम दोसरा हिरोइन के साइन क लेब. ओही समय कहीं से बिदेसिया के हिरोइन नाजो आ गइली. बात खुलल त ऊ कहली-" कलाकार के निर्माता आ निर्देशक के काम में हस्तक्षेप ना करे के चाहीं . हमरा अपोजिट मे के बा, एह से हमरा का मतलब. अपने केहू के लीं, हमरा कवनो आपत्ति नइखे."

एह तरह से बिदेसिया से हमरा फिल्मी कैरियर के शुरूआत भइल. लागी नाहीं छूटे राम में हमार साइनिंग एमांउट रहे ढ़ाई हजार जबकि विदेशिया में ओकरा ठीक दुगुना पांच हजार रूपया मिलल . फिल्म खूबे सफल भइल. ओकर हमरा लाभ मिलल. ठीक तीन महीना के भीतर हम आठ गो फिल्म साइन कइलीं. फेर त हर फिल्म में हमहीं हम रहीं. 1983 में अमिताभ बच्चन आ रेखा के लेके 'पान खाए सइयां हमार' बनवलीं. इहो फिल्म खूबे धूम मचवलस. विदेशन में न जाने केतना बेर एकर प्रदर्शन भइल . भोजपुरी के साथे-साथे हिन्दीयो में उतरलीं आ पूरा मन-मिजाज के साथे. आँखे, अराधना शुरूआती दौर के फिल्म रहे. आराधना में राजेश खन्ना मुख्य भूमिका में रहलन. उनका एक लाख रूपया मेहनताना मिलल रहे आ हमरा 75 हजार . फेर आगे के कहानी सबका मालूमे बा. हम लगभग हिन्दी भोजपुरी के साढ़े तीन सौ फिल्म में काम कइलीं आ जब मुम्बई में आपन फ्लैट, गाड़ी, नीमन बैंके बैलेंस हो गइल त हिन्दी फिल्म-निर्माण के क्षेत्र में उतर गइलीं आ ऊ क्रम अभीयो जारी बा.

उपर लिखल उद्धरण मनोज भावुक का साक्षात्कार से लिहल गइल बा.

शोक संदेश देबे वालन में नगमा, विनय आनन्द, मनोज टाइगर, शुभम तिवारी, छोटू छलिया, संजय पांडे, जय सिंह, दीपक दूबे, गुंजन पंत, जगदीश शर्मा, असलम शेख, महेश पांडे, जीतेश दूबे, सुनील बुबना, प्रवेश सिप्पी, जे पी सिंह, मोनिका सिंह, नंदकिशोर महतो, रितेश ठाकुर वगैरह शामिल बाड़े. सुजीत कुमार के आखिरीफिल्म गब्बर सिंह रहे जवना के निर्देशन महेश पांडे कइले बाड़न.