नजरिया तोहसे लागी एगो सामाजिक फिल्म ह, अजय दीक्षित

Ajay Dixit भोजपुरी सिनेमा के एक्शन स्टार का रुप में मशहुर हो चुकल अजय दीक्षित के अगिला भोजपुरी फिलिम नजरिया तोहसे लागी महाशिवरात्रि का शुभ अवसर पर आ वेलेन्टाइन डे से दू दिन पहिले १२ फरवरी के बिहार में जोर शोर से रिलीज होखे जा रहल बा. बेटवा बाहुबलिए का तरह नजरिया तोहसे लागी में अजय दीक्षित एकल नायक, सोलो हीरो, का रुप में आ रहल बाड़े. आजु जब दूगो भा बेसी अभिनेता लोगन के फिलिम चल नइखे पावत, केहू अकेला कइसे अपने दम खम पर दर्शकन के दिल पर राज करे लागे ई अजय दीक्षित से सीखला के बात बा. ऊ अपना अगिलको फिल्म सिकन्दर में एकल नायक का रुप में आ रहल बाड़े. पेश बा अजय दीक्षित से भइल बातचीत

अजय जी, सबसे पहिले त नजरिया तोहसे लागी का बारे में कुछ बताईं.

सबसे पहिले त पाठक लोग के हमार प्रणाम आ निहोरा कि बेटवा बाहुबलीए का तरह एहू फिल्म के जरुरे देखीं काहे कि ई पूरा तौर से पारिवारिक, रोमांटिक, एक्शन से भरपूर सामाजिक फिल्म ह जवना के पूरा परिवार का साथे देखला में कबो खराब ना लागी. अभिभावक लोग त जरुरे देखे काहे कि एहमें रउरा सब के बचवन के भविष्य आ दाम्पत्य जीवन से जुड़ल प्रेरक संदेश बा. संगीत बहुते कर्णप्रिय बा आ साथ में कामेडी के तड़को शामिल बा.

अजय जी, जहाँ आज कई गो अभिनेतो वाली फिल्म चल नइखे पावत, ओहिजा रउरा अकेले अपना से कतना उमेद रखले बानी ?

सब कुछ दर्शकन के नेह आ प्यार के प्रतिफल ह, आ हम उमेद करत बानी कि बेटवा बाहुबली का तरह नजरिया तोहसे लागीओ एगो बढ़िया फिल्म साबित होखी आ दर्शक एकरो के पसन्द करीहें. हमार कोशिश बा कि हम अॡना दर्शकन के हमेशा पूर्ण मनोरंजन परोसत रहीं, आ ओह लोग का कसौटी पर खरा साबित होखत रहीं. आ जहाँ तक फिलिम चले भा ना चले के बात बा, त ई सब त हमरा दर्शकने पर निर्भर बा काहे कि ऊ हमेशा बढ़िये फिलिम देखल चाहेलें.

रउरा अपना फिल्म के कहानी के कवना कवना नजरिया से देख के काम करे के सोचीलें ?

जी देखीं. हमनी नौजवानन के त फर्ज बनेला कि समाज के ओह समस्यन के फिल्म के फिल्म के माध्यम से रुबरु कराईं जवन कहीं ना कहीं हमनी के सामाजिक सोच के कमजोर करेले. इहे हम बेटवा बाहुबली में कइले रहीं आ समाज के एगो निमन संदेश गइल रहे. एह फिलिम के त कहहीं के का बा. ई त सभका खातिर सबक होखी.

पर साल रउरा के बेटवा बाहुबली खातिर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता के सम्मान मिलल रहे. का नजरिया तोहसे लागी ओ रउरा के कवनो सम्मान दिलवाई ?

कवनो कलाकार खातिर ई गर्व के बात होला जब उनकर फिलिम दर्शकन के नीक लागेला. आ ओकरा खातिर ओह कलाकार के सम्मानित कइल जाले. जहाँ तक हमार आपन सोच बा, जब हम दर्शकन का बीच पहिला बेर बेटवा बाहुबली का जरिये आइल रहीं त हमरा काम के पसन्द कइल गइल रहे. जब अवार्ड मिलल त हमरा लागल कि दर्शक हमरा से एहू ले बेसी के उमेद रखले बाड़े. आ हम रउरा सब के भरोसा दिआवल चाहत बानी कि हम ओही उमेद लायक अभिनय नजरिया तोहसे लागी में कइले बानी. हमरा उमेदे ना पूरा विश्वास बा कि हमरा दर्शक परिवार से आ कास कर के महिला वर्ग से निकहा सहानुभूति मिली.

राउर ई दुनु फिलिम कवनो ना कवनो सामाजिक मुद्दा ले के बनल बा. त का सिकन्दरो समाज के कवनो जटिल मुद्दा पर आधारित बा ? कुछ ओकरो बारे में बतावत चलीं.

सिकन्दर, माने कि जे जीतल उहे सिकन्दर. वास्तव में अगर समाज के हर समस्या के लोग सिकन्दर लेखा किरदार का तरह सुलझावे के कोशिश करे त समस्या वइसहीं खतम हो जइहें सँ. एह फिल्म में सिकन्दर के किरदार अइसने होखी. फर्क बस अतने बा कि ओह सिकन्दर के आपन प्यारो ना मिलल रहे जबकि ई सिकन्दर सबकुछ पा लेता.


स्रोत : प्रशान्त निशान्त