ई पूछीं कि चोरवा बनल दामाद में का नइखे

Rajnish Tyagi एगो निर्देशक का तौर पर रजनीश त्यागी के कहल बा कि सृजनशिलता उनकर जुनून ह. घर आ जा परदेसी, फुलौरी बना चटनी कइसे बनी आ अब भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह का साथे चोरवा बनल दामाद उनकर सृजनशीलता के सबूत बा. पेश बा उनका से भइल बातचीत के कुछ हिस्सा..

कइसे बनल चोरवा बनल दामाद के रुपरेखा ?

भइल ई रहे कि हम अनिल अग्रवाल के चार गो कहानी सुनवले रहीं जवन अलग अलग विषय पर रहली सँ. एक दिन अचानके अनिल जी कहलें कि उनका एकर कहानी बहुते नीक लागल आ चाहत बाड़े कि ओकरा पर जतना जल्दी हो सके फिल्म बनावल जाव. बस चोरवा बनल दामाद बने के शुरु हो गइल आ हमनी का बीसे दिन में एह फिलिम के पुरा कर लिहलीं जा.

Chorwa Banaal Damad नाम त अलगा बा, फिलिम में का खास बा ?

नामे का हिसाब से एहमें कॉमेडीओ बा, ट्रेजेडिओ बा, एक्शनो बा. पूछीं ई कि एकरा में का नइखे. पवन सिंह, रुबी सिंह आ जय सिंह के लेके बनावल एह फिल्म से हम देखावल चहले बानी कि सेंसिबिलिटी आ क्योरिसिटी बनल रहे त कवनो बात बनेला, ना त चीज अइसहीं आवत जात रहेली सँ. बिहार यूपी भोजपुरी के गढ़ ह जहवाँ मनोरंजन के कवनो दोसर साधन नइखे. ले दे के सिनेमा बाचल बा. एहसे हर चीज के बैलेन्स करिये के चलल जाव त बेहतर रहेला.

अपना शुरुआती सफर का बारे में कुछ बताईं ?

हम पश्चिमी यूपी के सहारनपुर के रहेवाला हईं आ साल ८५ में निर्देशन का दुनिया में कुछ खास करे के सपना ले के मुंबई आ गइनी. बहुते संघर्ष का बाद हम आखिर में प्रोडक्शन लाइन धर लिहनी. काहे कि बिना जान पहिचान के काम मिलल आसान ना रहे आ जिए खातिर त कुछ करहीं के रहे. फेर प्रोडक्शनो लाइन का बारे में जानल जरुरी रहे काहे कि निर्देशक पूरा जहाज के कप्तान होला आ ओकरा जहाज का बारे में पूरा जानकारी होखल जरुरी होले. आ सृजनशीलता त हमार जुनून ह.

शुरुआत में केकर सहायक बनली ?

शुरुआत त बढ़िया भइल रहे. फिल्म निर्माता निर्देसक आ अभिनेता संजज खान के प्रोडक्शन का तहत बनत धारावाहिक जय हनुमान में सहायक बननी, फेर के डी शौरी के फिल्म महायुद्ध के सहायक बननी आ सिलसिला चल निकल रहे. डायरेक्शन का साथे साथ प्रोडक्शनो में लागल रहीं. जी सिने स्टार के सरोज के प्रोडक्शनो से जुड़ल रहनी. घर आ जा परदेसी स्वतंत्र रुप से हमार पहिलका फिल्म रहे. फेर आइल फुलौरी बिना चटनी कइसे बनी.

शुरुआत का बारे में तनी अउरी विस्तार से ?

हमरा घर से फिल्म इण्डस्ट्री के दूर दुर तक कवनो संबंध ना रहे. बाबूजी किसान रहलें. फेर पता ना कइसे हमार रुझान सिनेमा का तरफ हो गइल रहे आ अपना काम आ तकदीर दुनू पर भरोसा बनवले हम आँख मूंद के बढ़त गइनी. हमरा आजुवो याद बा कि एगो फिल्म का स्क्रिप्ट पर छह सात महीना काम कइला का बाद एकदिन अचके में ओकर निर्माता कहलें कि दोसर डायरेक्टर राखे जा रहल बाड़े. बाकिर उपर वाला के मेहरबानी देखीं कि आउटडोर पर जाए के चार दिन पहिले फेर उहे प्रोड्यूसर कहलें कि फिल्म तूही डायरेक्ट करबऽ.

अपना कुछ आवेवाला फिल्मन का बारे में बताईं ?

एक लैला और छह छैलावचनबद्ध का अलावे कुछ हिन्दीओ फिल्म बाड़ी सँ.


स्रोत : शशिकान्त सिंह