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भोजपुरी लस्टम पस्टम

16 Mar 2010

मास्साब आ भईंस

- जयन्ती पाण्डेय

रामचेला बाबा लस्टमानंद से पूछलें कि, बाबा हो अकिल बड़ हऽ कि भईंस? बाबा अइसन मुंह बनवेल कि बुझाईल जे कवनो मरिचा कटा गइल बा. कहले, खाली अकिल आ भईंस के संबंध के ले के हरान बाड़ऽ? कबहूं मास्टर आ भईंस के रिश्ता पर सोचले बाड़ऽ? जे छोट लइकन के स्कूल के मास्टर बा ओकरा बड़ा फायदा बा. देर सबेर जे चरवाहा भईंसियन के चरावे ना आवे त मास्साब स्कूल के लइकन के टिफिन बेरा भईंस चरावे पठा दिहें. मास्टरी आ भईंस में बहुत करीब के रिश्ता होला. तबे त बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चरवाहा विद्यालय खोल दिहले रहले. चरवाहा विद्यालय के छात्र आ गुरुजी लोग भईंस के पीठ के इस्तेमाल स्लेट आ बोर्ड अइसन करत रहे.

एह से इहो बात के प्रेरणा मिले कि ठीकेदार के बनवावल स्कूल के बिल्डिंग जे गिरियो जाई त पढ़ाई के नुकसान ना होई. लोग हमनी के मजबूरी आ गुरूजी के सम्मान देखि के खुद लइकन का हाथ से चारा भेजी लोग. जेहसे कि ब्लैकबोर्ड बनल भईंस हरिहरी चबात पगुरावत रहे आ एक जगहा खड़ा रहे अउर मास्टर साहेब पढ़ावत रहे. एहसे तीन तरह के फायदा होई. पहिलका त एहसे गँवई पढ़ाई के व्यवस्था चौपट ना होई. दोसरका फायदा ई होई कि सरकार के अर्थव्यवस्थो पर विशेष जोर ना पड़ी. तीसरका सबसे बड़ महत्व के फायदा ई होई कि भईंसियन के चरावे खातिर अलगा से चरवाहन के खोजे में परेशान ना होखे के पड़ी. ई काम त लइकवे कर दिहें सँ. एकरा अलावा दूध में पानी मिला के बेचला से जवन फायदा होई ऊ अलगा बा. मास्टर जे भईंस राखि लेऊ त हम समुझत बानी कि करिया अक्षरन के महत्व अउरी बढ़ जाई.