भोजपुरी लस्टम पस्टम

17 Aug 2009

माया से बड़हन केहु ना

- जयन्ती पाण्डेय

रामचेला पुछले बाबा लस्टमानंद से कि बाबा हो, आज के दुनिया में सबसे बड़हन चीज का हऽ. बाबा सुरती के पीक थूकि के कहले - माया.

आज के माया है द्रव्य. द्रव्य माने रुपिया. कहले बा कि दरबे से सरबे, चहबे से करबे. सब लोग माया का जाल में फंस के हाय हाय करऽता. जेकरा देखऽ उहे ओकरा फेर में बा. जबसे पइसा के आविष्कार भइल तबसे अबले केहु अइसन ना होई जे ओकरा फेर में ना होखो. हर चीज के कीमत पईसा में लगावल जा ता.

देखत नईखऽ. गाँव में पांड़े जी के नतिया अपना ईया के कलकत्ता बोलवलसि अपना श्रद्धा का चलते. गाँव में लोग कहे लागल कि बुढ़ियो के पइसवा लेबे खातिर बोलवले बा. माने हर चीज के दाम पईसा में लगावल जा ता, चाहे ऊ श्रद्धा होखे चाहे श्राद्ध.

आटा का दाम पईसा में, दाल के दाम पईसा में, तेल के दाम पईसा में, नमक हलाली के दाम पईसा में, आ नमकहरामीओ के दाम पईसा में. हँ जी आज हर चीज क दाम पईसा में बा. प्रेम आ सेवो के दाम पईसा. मुआवे खातिर पईसा देबे के पड़ऽता आ जीव के बचावहु खातिर पईसा देबे के पड़ऽता. मेहरी के मरद पईसा हऽ आ मरदे के तावो पईसे हऽ. विद्वानन के दिमाग में दम नइखे, पंडित में पंडिताई नइके, नेता के दिल ना चले, सेठ के गाड़ी ना चले. बाकि पईसा रहे त सब ठीक. पईसा रही त देश सेवक, समाज सेवक सब हो जईबऽ.

ई त ठीक भइल कि आजादी साल सैंतालिसे में भेंटा गइल. ना त जे आज होईत त धंधा हो जाइत. नेता लोग हिसाब लगाइत कि नारे बाजी के अतना रुपिया. आन्दोलन के एतना रुपिया लाठी खाये के अतना रुपिया. आजादी खातिर सुपारी लियाइत आ आजादी रोके खातिर सुपारी दियाइत. पईसा जब जरूरत से जियादा हो जाला त अय्याशी के काम आवे ला. घूस देबे के काम आवे ला, संस्कृति के विनाश के काम आवेला. सुपारी देबे के काम आवे ला आ सुपारी खाये क काम में लागेला. पईसा ऊ छूरी हऽ जवन निमन निमन लोग के काट दे ला.

रामचेला सुनत सुनत उबिया गइले त कहले कि, बाबा ई जाने लऽ कि ना कि पईसा हाथ के मईल हऽ?

बाबा मुस्किया के कहले एकर माने तूं ठीक से नईखऽ जानत. मइलो माया हऽ. जवना किताब में लिखल बा कि रुपिया हाथ के मईल हऽ ऊ कितबियो पईसे से किनाई चाहे भेंटाई. रामचेला, जेकरा हाथ जेतना मईल, ओकरा लगे ओतने पईसा.