अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

माई रे हम जेल जाइब

माई रे हम जेल जाइब कुछ अउर नाही तऽ नेता ही बन जाइब,
माई रे हम जेल जाइब.

बचपन में हम ध्यान ना दिहिलीं एक से बढ़के खेला हम कइलीं,
कसम खिया ले हमसे माई ईऽ गलती अब ना दोहराईब.
माई रे हम जेल जाइब.

पढ़ली लिखिलीं बीए पास केहु ना डललस हमके घास,
का करेब हम नौकरी करके ऐकौ धेला बचा ना पाइब.
माई रे हम जेल जाइब.

बाबू कहले धन्धा कइलीं सब चिजीया में मिलावट कइलीं,
हमरो भी ईमान धरम बा इहै बात तोहके समझाइब.
माई रे हम जेल जाइब.

नेता बनके नाम कमाइऽब नाम कमाइब दाम कमाइऽब,
जे ना मानी हमरा बात हम ओके मिट्टी में मिलाइब.
माई रे हम जेल जाइब.


कलयुग के नेता.

जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.

जे तोहरी जी हुजुरी बजावे, सुख सुविधा वो सब कुछ पावे,
चोर गद्दार के तू रखवाला मिल भारत के करें दिवाला.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.

जेकरे द्वारे तू चला जावे धन्य धन्य ऊऽऽ जन कहलाई,
खद्दर से तन आपन सजाके कहलइल तू गाँधी के भाई.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.

जे तोहके धन पहुँचवलस लक्ष्मी ओकरे घर में गइलस,
जब आवे चुनाव के बारी पैदल चले लऽऽ छोड़ सवारी.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.

हाथ जोड़ के तु बतियाऽव मुरख जनता के फुसलाऽऽव,
जीत इलेक्शन घर तू बइऽऽठ बड़ ताव से मूँछ तू ऐंठऽ.
आपन तोहरे बाटे चिन्ता जय कलयुग के नेता भ्राता.

जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.


मिलावट

मिलावट के मारे सबही के नाक में दम आइल बा,
केकरा केकरा के कहिं एमा सबहीं अझुराइल बा.

बात मे मिलावट विचार मे मिलावट
चाल में मिलावट खाल में मिलावट,
पोशाक में मिलावट के झण्डा फहराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........

काम में मिलावट ध्यान में मिलावट
पति में मिलावट पत्नी में मिलावट,
मिलावट के भाई बहिन से सिनेमा होटल फुलाइल बा
केकरा केकरा के कहिं........

तौल में मिलावट कौल में मिलावट
चावल में मिलावट दाल में मिलावट,
आटा में मिलावट से दाँत किरकिराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........

शक्क्कर में मिलावट शहद में मिलावट
मख्खन में मिलावट डालडा में मिलावट,
तेल में मिलावट से बाल अझुराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........

कथनी में मिलावट करनी में मिलावट
घी में मिलावट और साग में मिलावट,
दवाई में मिलावट से मनुष्यता लजाइल बा
केकरा केकरा के कहिं........

कान में तेल डालके अधिकारी लोग बहिराईल बा,
थोड़ा बहुत खाके अपना कर्तव्य से भुलाइल बा.
कऊनो अइसन चीज नइखे जवन शुद्ध कहलाइल बा,
अगर कुछ शुद्ध बा त विदेश से मँगाइल बा.
रोवतारी भारत माता शुद्धता लुकाइल बा,
सरग जइसन देश आपन नरक में ढ़केलाइल बा.
पढ़के नाराज मत होखब सभै दुख से लिखाइल बा,
एक आदमी के कहात नइखे सबकर उगलाइल बा.
केकरा केकरा के कहिं........


इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

स्वर्ग में मचल बा हाहाकार सब केहु हो जा खबरदार,
का भईल कऽऽ शोर बा मचल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

का देवी देवता अऊर का देव गुरु सबही बा घबराईल
सबकर एक ही मंत्रणा आखिर ई आफत कहाँ से आइल,
केहु कऽ भी दिमाग नाही चलल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

काऽ होइ काऽ होइ के बीच यमराज कऽ इक दूत आइल
साथ में इक मृतआत्मा के देख सबकर दिमाग चकराईल,
सब देखे लागल एक दुसरा कऽऽ शकल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

बाअदब बामुलाहिजा़ होशियार कहके यमदूत सुनवले यम संदेश
एकरा चक्कर में नर्क में आइल आफत एहिसे ब्रह्माजी दिहले आदेश,
स्वर्ग में ही सत्ता कऽ हो सकेला बदल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

सत्ता के लालची नेता के देख ऊँहा मच गईल तहलका
अइसन स्थिति फिर ना आवे कोई उपाय करे के होई पक्का,
नया नियम के सिवा रास्ता ना बचल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.

स्वर्ग और नर्क में कउनो भी नेता कऽ आवागमन हो गइल निषेध
अब मरते ही तुरन्त पुनर्जन्म देबे कऽ पारित हो गइल आदेश,
ना रहिहैं साँप ना होई लाठी कऽ दखल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.


सुखवा सपना भइल बा

सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.

आडम्बर के मंच लगल बा, हाहाकार भाषण बनल बा.
शान्ति हो गइल उद्विग्न बा, धैर्य संतोष में आइल विध्न बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.

सांत्वना सहानुभूति के बजर पडल बा, मिथ्या उपहास के तूती बा.
भरसाईं में जरल लाज शरम बा, फुहडता निर्लज्जता भइल धरम बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.

छप्पर फार के बरसत कलेश बा, शिक्षा संस्कार के गिरल स्तर बा.
भालू बन्दर से वेत्ता लोग बदतर बा, यजिगर काया के सख्त अभाव बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.

क्षुद्रता लालच के लगल आसन बा, भ्रष्टाचार करत शासन बा.
आदर सम्मान के लागल गोली बा, लड़का लोग बाबू के फोड़त माथा बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.


आयल मधुमास कोयलिया बोले

आयल मधुमास कोयलिया बोले .

लाल लाल सेमरु पलास बन फूले
सुमनो की क्यारी में भँवरा मन डोले,
किसलय किशोरी डारन संङ झूले
महुआ मगन हो गन्ध द्वार खोले.

आयल मधुमास कोयलिया बोले .

सुगन्धित पवन भइ चलल होले होले
ढोलक मंजिरा से गूँजल घर टोले,
रंग पिचकारी मिल करत किकोले
छनि छनि भंग सब बनल बमभोले.

आयल मधुमास कोयलिया बोले .

उड्ल गुलाल लाल भर भर झोले
मीत के एहसास बढल मन के हिडोले,
धरती आकाश सगरे प्रेम रस घोले
मख्खियन के झुण्ड पराग के टटोले.

आयल मधुमास कोयलिया बोले .


पतई पर परान बा

पतई पर परान बा
सांसत में जान बा
मिथ्या जबान बा
धोका सम्मान बा
दौरी भर शान बा
शिक्षा शैतान बा
टुटहा अरमान बा
नाहक वरदान बा
ढोंगी महान बा
पीडा आसान बा
कौआ लेले कान बा
भेडिया धसान बा
मरयादा शमशान बा
सिर धुनत मान बा
दम तोडत ब्रतमान बा
केहु के न भान बा.