अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

घुरहु चच्चा भाग ३

घुरहु चच्चा कऽ नया फरमान आ गयल,
दिल में नेता बने कऽ अरमान छा गयल।।

जे जे जानत रहल उनके कइऽलस किनारा,
हमरे पास आके खोलऽलन आपन पिटारा,
कहलन, बचवा तू ही तऽ हमार सुने ला,
जवन हम कही, ओकर मरम जाने लाऽ,
सुने के सिवा हमरे पास चारा नाही बचल,
आजतक उनके पेट में कुछओ नाही पचल,
जवन कहलन सुनके अँखिया पथरा गयल,
घुरहु चच्चा कऽ ....।।

नेता बने कऽ पहलिका फायदा सुनवलन,
दिल कऽ बात केहु ना जानी, बतवलन,
हर फरियादी कऽ माँग कर देब हम पूरा,
विरोधियन के माथे मढ़ देब काम अधुरा,
कईसे कही नेतावन कऽ हर बात निराला,
साफ बच जालन करे केतनो बड़ घोटाला,
उनके भोलापन पर हमके तरस आ गयल,
घुरहु चच्चा कऽ .....।।

एतना कह के हमरे तरफ उम्मीद से देखलन,
ईऽ बातपर हमार विचार जाने खातिर कहलन,
साफ कहली नेतागिरी करल नाही हव आसान,
बड़ अपराधी ही बन सकत हव नेता महान,
यदि नाही हव तोहार कवनो आपराधिक दुकान,
करे के पड़ी दुश्मन देश के नेतावन कऽ बँखान,
हर डूबत नेतावन कऽ काम यही से चल गयल,
घुरहु चच्चा कऽ .....।।

मोहल्ले में कोई नाही कही तोहके फिर चच्चा,
नेतागिरी खातिर तोहार दिल हव अभी कच्चा,
अइसन नाही कि अब कवनो गाँधी नाही बचल,
ओकरे आगे बस कलयुगी चक्रव्यूह हव रचल,
यदि कोई हव भी तऽ कुछ कर नाही पावत हव,
गठबंधन नीति में करेला नीम चढ़त जात हव,
हमार बात सुन के उनकर आँख खूल गयल,
घुरहु चच्चा कऽ .....।।

कहलन बात तऽ सही कह रहल हउआ बच्चा,
पर कोईऽ के तऽ शुरुआत करे के होईऽ सच्चा,
यदि हर सच्चा राजनीति से करे लगी पलायन,
देश डूबी बचीहन खाली राजनीति कऽ खेलायन,
वइसे गन्दगी में भी देखात हऽव धारा निर्मल,
रह जाई खाली कीचड़ तब्बे खिली कोई कमल,
देशभक्ति कऽ जज्बा देख हमार आँसू बह गयल,
घुरहु चच्चा कऽ .....।।

घुरहु चच्चा कऽ नया फरमान आ गयल,
दिल में नेता बने कऽ अरमान छा गयल।।