अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

कुछ पल कऽ साथ तऽ दऽ

जिन्दगी दे दिह लऽ कुछ पल कऽ साथ तऽ दऽ,
सोचे कऽ शक्ति के साथे सबमें ओकर मान त द,
भइल होखी कवनो गलती हमसे पिछला जनम में,
एह जनम में ओके सुधारे खातिर ग्यान तऽ दऽ.

जिन्दगी सजा बा हम दिल से स्वीकार कर लिहलीं,
बिना चाहत काँटा भरल ताज अंगीकार कर लिहलीं,
जईसे चह बऽ वईसे खेले के ही पड़ी मानऽतानी हम,
खेला में ठीक से खेले खातिर पूरा सामान तऽ दऽ,
एह जनम में ओके सुधारे खातिर ग्यान तऽ दऽ.

सबमें विद्यमान बाऽ ड़ऽ तऽ सबसे बड़ सवाल बा,
जज फरियादी कऽ फैसला कइला में ही बवाल बा,
स्वर्ग में बईठ हमसे नरक क खेला खेलत बा ड़ऽ,
फैसला सुनावे खातिर ही स्वरग के बोलावा तऽ दऽ,.

जिन्दगी दे दिह लऽ कुछ पल कऽ साथ तऽ दऽ,
सोचे कऽ शक्ति के साथे सबमें ओकर मान त द,
भइल होखी कवनो गलती हमसे पिछला जनम में,
एह जनम में ओके सुधारे खातिर ग्यान तऽ दऽ.