लाइक माइंडेड, बाकिर डोंट लाइक माइंडेड

आलोक पुराणिक

उहाँ के गोहार लगवनी, दल के मतभेद, दिल के मनभेद छोड़ के सगरी लाइक माइंडेड लोग हमरी संगे आ जाँय.

सबेरहीं लाइन लाग गइल, चार गो जेबकतरा, पांच गो जमीन कब्जऊ, छह गो समगलर, सात गो छोकड़ीबाज, आठ गो खानदानी झूठा, नौ गो खूनी दस गो डाकू. सगरी के सगरी बोललन, जी हमनी ले बढ़ के लाइकमाइंडेड रउरा खातिर दोसर के ?

नेताजी लजइलन आ कहलन, ना जी, हम त कहत रहनी पालिटिकली लाइकमाइंडेड.

जी पालिटिकली लाइकमाइंडेड के का मतलब होला ? एगो जमीन कब्जाऊ पुछलस.

मतलब सैकुलरिज्म, नेशनलिज्म, मूल्य, सिद्धांत, नीति, गुट निरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव, कौमी एकता, समाजवाद, गांधीवाद, राष्ट्रवाद, महाराष्ट्रवाद, सत्य, निष्ठा, आखिरी आदमी, पहले आदमी के मामले में लाइक माइंडेड - नेताजी बतवलन.

लऽजी, हमनियो का डिक्लेयर कर देत बानी कि सैकुलरिज्म, नेशनलिज्म, मूल्य, सिद्धांत, नीति वगैरह आ जवनो कुछ दोसर आइटम होत होखे, ओह सब में हमनियो का रउरा साथे बानी, लाइक माइंडेड. बाइ दि वे ई सैकुलरिज्म, नेशनलिज्म वगैरह होला का? मतलब साफ कर दीं कि का कुछ बंदिश होखेला सैकुलर वगैरह बने में, जइसे हई खाये के बा कि ना. मतलब नेशनलिज्म में रिश्वत खइला पर मनाही नइखे नू? भा पार्टटाइम सैकुलर हो लिहल जाव, पार्ट टाइम नेशनलिज्म कर लिहल जाव. भई बता दीं, दिन भर तो बिजी रहीलें दारु का ठेका में. रात खाँ रउरा कहेम, तो नेशनलिज्मो कर लेम. चल जाई नू अइसे ? भई पता ना, एकरा बारे में त कबो सुननी ना हम. कवनो टीवीओ प्रोग्राम में त ना देखावल जाला. ओहिजा त इहे देखावेलें स कि एने वाला ओने चलि गइलें, ओने वाला होने चल गइलें, होने वाला एने. ई सैकुलरिज्म, नेशनलिज्म अगर अतना इंपोर्टेंट बा, त टीवी पर काहे ना आइले ? एगो स्मगलर पूछ रहल बा.

देखीं सभे, लाइक माइंडेड क बात त रउरा बुझते नइखीं - नेताजी बतवलन.

जी, हमरा से बेसी के जानी? रउरो त आपन कैरियर जेबकटिये से शुरु कइले रहनी, फेर जमीन कब्जाऊ बननी. हमनी से बेसी लाइक माइंडेड के होखी? - एगो जमीन कब्जाऊ तनी हमलावर होत बोललस.

देखऽ, लाइक माइंडेड मतलब एक जइसन सोच विचार वाला - नेताजी समुझावे के कोशिश कइलन.

जी विचार त सगरी के एकही जइसन बा कि सभे पीएम बनल चाहत बा. मंत्री बनल चाहत बा, सरकार बनावल चाहत बा. इहो वाले, उहो वाले. त का सगरी जने लाइके माइंडेड हउवें ? फेर त मनमोहनसिंहजी क आउर आडवाणीओजी के लाइकमाइंडेड मान लीं का? ‍ एगो खानदानी झूठा सवाल दाग दिहलसि.

ना, मतलब अइसे समुझऽ कि जइसे कांग्रेस आ डीएमके लाइकमाइंडेड रहले, दुनू साथे मिल के चुनाव लड़लें, बाकिर मंत्रालय का मामिला में कांग्रेस आई डोंट लाइक माइंडेड कर दिहलसि, फेर अब लाइकमाइंडेड हो लिहलसि. ई मसला शेयर बाजार क तरे होखेला, सबेरे होखनी, साँझ के ना रहनी. मतलब एह टाइप से - नेताजी समुझावे के कोशिश कइलन.

अजी, ई त बड़ा मुश्किल काम बा, लाइक माइंडेड भा डोंट लाइक माइंडेड के समुझल - एगो स्मगलर कहत बा.

लाइकमाइंडेड के समुझहीं में खेत हो गइल बा स्मगलर.

एह कहानी से शिक्षा मिलत बा कि स्मगलरन, झूठन, बदमाशन क पालिटिक्स में आवे से रोके के बा त ओहनी के लाइकमाइंडेड क मतलब समुझे आ समुझावे में भिड़ा देबे के चाहीं.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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