डाकू होखे त अईसन

आलोक पुराणिक

साहेबजी सोमालिया अब एगो ब्राण्ड हो गईल बा, गब्बर सिहं लेखा. अदन का खाड़ी से पचास पचास किलोमीटर दूर जब कवनो जहाज निकलेला त कैप्टन जहाज ड्राइवर से कहे ला, निकल ले बे, पांच सौ के स्पीड पे, नाहीँ त सोमालिया के डाकू आ जाई.

साँचहूं जवन इंटरनेशनल कवरेज बुश का हिस्सा में जात रहुवे, अब सोमालिया का डकैतन का हिस्सा में जाये लागल बा. सोचत बानी काहे ना सोमालिया का राजदूतावास में जा के अरज करीं कि सोमालिया डाकू टूरिज्म पैकेज चलावे. टूरिस्टन के ओह जगहा ले जाईल जहवाँ सोमालिया के डाकू डकैती डालेलन सन. छोटको बोट में कवनो खोट ना रही, बस डकैती होखे के गारण्टी रहे के चाहीं. बड़को शिप त धराइये जाले सन.

खैर मसला ई बा कि चिंता आ चिंतन के विषय ई बा कि सोमालिया में आखिर अतना समुद्री डाकू आ कहाँ से गईलन स. हमरा त बुझात बा कि सोमालिया के डाकू ब्राण्ड भँजावे खातिर कुछ दोसरो लोग अपना के सोमालिया के डाकू बतलावे लागल बा. अतना जहाज लुटात बाड़ी सन कि सोमालिया जईसन छोटहन देश के सगरी डाकू मिलियो के ना लूट पईहें. कतनो ओवर टाइम कर ल सन. करामात केहू दोसरे के बा. आ एह लपेटा में सोमालिया डाकू ब्राण्ड बन गईल बा.

सोमालिया के दू गो बंदन से एने भेंट भईल. ऊ परिचय दिहलें कि प्रोफेसर हउवन जा. एने के बंदा लोग भेंट करे से नकार दिहल. सोमालिया के भईलऽ आ डाकू ना भईलऽ त मिलला से फायदा का ? ई त कुछ वइसने हो गईल कि नेता बस्ती के भईलन आ तबहियों शरीफ हो गईलन. से भेंट कईला से फायदा का.

कुछ दिन में अब ई होखी कि लोकल फिरौतीबाज कहे लगीहें सन कि हम सोमालिया के फिरौतीबाज हईं, चुपचाप हतना करोड़ रुपया होह जगहा पर राख आवऽ. सोमालिया डाकू ब्राण्ड का सम्मान में बंदा बगैर चूं चपड़ कईले रकम राख आई. ब्राण्ड इमेज आउरि होला का जी.

सोमालिया तूँ त ग्रेट हउव जी. नाकी देशन में फिरोतीबाज होलन, बाकिर सोमालिया में त फिरौतीबाजन का लगे पूरा देशे बा.

खैर मसला ई बा कि आखिर सोमालिया डकैतन का रूप में काम के कर रहल बा. हमरा त सुबहा बा कि एने बहुते टेलीकाम मोबाइल प्लान बेंचे वाला सोमालिया जा के डाकू हो लिहल बाड़न सन. एहिजा त मंदी आ गईल बा. तरह तरह के टेरिफ प्लान बेंचे में दिक्कत आ रहल बा. ओहिजा समुन्दर में सुभहिता बा. कहाँ ठेलत फिरऽ एक ह एक गो प्लान, ओहिजा सोझे एगो जहाजे ठेल के ले जा. ना त ईहवाँ टेरिफ प्लान खरीदे वालन का बस में कुछ बा, ना ओहिजा जहाज वालन का हाथ में.

भा हो ना हो, सोमालिया के डाकू का वेश में ऊ सभ चलि गईल बाड़न सन जवन पहिले एहिजा बतलावत रहलन स कि युकिलिप्टस उगावऽ आ हतना साल में हतना रकम पावऽ. एहिजा वाला त धरपकड़ कर लेबेलन स कि ले आवऽ वापिस रकम. सोमालिया का समुन्दर में सुभीता बा.

चलऽतानी हमहूं सोमालिया के डाकूवन के फ्रेचाइजी ले लेत बानी, कवनो धंधा में आगा चल के कामे आ जाई.


पाटिल जी का सम्मान में

ई व्यंग्य ना हऽ.

आजु सिरिफ आ सिरिफ मौन बा, महान हास्यकार शिवराज पाटिल जी का सम्मान में.

पहिले आतंकवाद का मुकाबिला खातिर ऊ जे बलत रहलन ओह पर हँसी आवत रहुवे, फेर ऊ अपनहीं हास्यास्पद हो गईलन. आ अब त शर्मनाक हो गईल बाड़न. सगरी हास्यकारन के ओकनी का धंधा से बहरियावे में लागल पाटिल जी का सम्मान में आजु कुछवु ना.

उनुका सम्मान में प्लीज पांच मिनट के मौन राखीं.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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