बहुरंगी चिरई अउरी तेनालीराम

प्रभाकर पाण्डेय गोपालपुरिया

राजा कृष्णदेव राय पशु-पंछियन के बहुते प्रेमी रहने. उनकरा नया-नया जीव-जानवरन के पलले के सौख रहे. एकबेर के बाति हऽ कि एगो चिरई बेंचेवाला एगो बहुरंगी अउरी बहुते सुन्नर चिरई ले के उनकरी राज-दरबार में पहुँचल अउरी ओ चिरई के उनके देखवलसि.

जब राजा कृष्णदेव राय ओ चिरई के देखने त देखते रहि गइने. ऊ आजु ले अपनी जीवन में वइसन चिरई कबो ना देखले रहने. उ चिरई कवनो दूसरे लोक के लागे. ओकर पंख कई रंग के अउरी लुभावना रहे. ओ चिरई के रूपे-रंग एइसन रहे की केहूओ ओकरी पर मोहित हो जाईत.

चिरई बेंचेवाला राजा कृष्णदेव राय से कहलसि कि, महराज, हम काल्हि जंगल में बड़ी मसक्कत की बाद ए चिरई के पकड़ि पवनी अउरी ए के पकड़ले की बाद हम इहे सोंचनी की ए के हम रउआँ के भेंट कऽ देइबि. राजा ओ चिरई बेंचेवाला के बाति सुनि के बहुते खुस भइने अउरी कहने कि तूँ इनाम पावेवाला काम कइले बाड़ऽ. तहके ए चिरई की बदला में सौ गो सोने के असरफी देहल जाई.

राजा अउरी चिरई बेंचेवाला के इ बाति अब्बे चलते रहे तब्बे उहवाँ तेनालिओ राम आ गइने. तेनाली राम ओ चिरई के देखि के असमंजस में पड़ि गइने. चिरई के रूप-रंग उनकरा बहुते अजीब लागल. उ सपनो में ना सोंच सकत रहने की उनके एइसन चिरई देखे के मिली.

तेनाली राम चिरई बेंचेवाला की ओर देखि के कहने कि वास्तव में तूँ इनाम पावे के हकदार बाड़ऽ. बइठऽ पानी-ओनी पिअऽ अउरी आपन इनाम ले के जा.

जब चिरईबेंचवा बइठि के पानी पिए लागल त तेनाली राम का कइने की एक गिलास पानी उठा के चिरई की ऊपर डालि देहने. सबलोग के इ तेनाली राम के बेवकूफी लागल पर केहू कुछ बोलल ना काहें की तेनाली राम कहने की ई चिरई पिआसलो बा अउरी ढेर दिन से लाग ता नहइलो नइखे.

पर अरे, ई का? सब लोग हैरानी से ओ भींजल चिरई के लागल देखे. देखते-देखते चिरई की देंही पर के रंग छूटि गइल अउरी उ एकदम भूरा रंग के हो गइल. अब ओकर सुंदरता जा चुकल रहे. उ अब एगो साधारन जंगली चिरई हो गइल रहे. असली में चिरईबेंचवा ओ चिरई के रंगि के ले आइल रहे.

एकरी बाद तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय से कहने कि महाराज, देखनी असलियत? ई चिरईबेंचवा ए रंगल चिरई के असली बता के रउआँ के ठगल चाहत रहल हऽ.

राजा कृष्णदेव राय तेनाली राम की हुँसियारी पर बहुते खुस भइने अउरी उनकर परसंसा कइने. बाति-बाति में राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम से पूछि बइठने कि, अच्छा तेनाली तूँ इ बतावऽ की तूँ कवनेगाँ जनलऽ ह कि ए चिरई के रंगल गइल बा? तेनाली राम कहने कि महराज हमरा पहिलहिं एइसन बहुरंगी चिरई के देखि के दालि में कुछ काला नजर आवत रहुए पर रउरी डरे हम कुछु ना बोलुवीं. हम ए रहस्य की बारे में अउर अधिक जानहीं खातिर ए चिरईबेंचवा के बइठि के पानी-ओनी पिए के कहुँवीं अउरी हम खुदे पानी ढारि के ए के पिए के देहुवीं. जब हम ए चिरईबेंचवा के पानी पिए के देत रहुवीं त का देखतानी कि एकरी नोहे अउरी अंगुरियन में रंग लागल बा. ए चिरई के रंगले की बाद ई आपन हाथ तऽ धोवलेहीं होई पर नोहे-ओहे पर के रंग अबहिन ले छूटल नइखे.

तेनाली राम क एतना कहते राजा कृष्णदेव राय छछा के ‍- धधा के उनके अपनी गले लगा लेहने अउरी उनकरी चतुराई के लोहा मानि लेहने. जहाँ तेनाली राम के बहुत सारा इनाम मिलल उहवें ओ चिरईबेंचवा के जेलि के हवा खाए के परल.


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