डा॰गोरख प्रसाद 'मस्ताना'
गजल
पनकीं तनिका तब हम जानी
टनकीं तनिका तब हम जानी
अँखुअइला से काथी होई
खनकी तनिका तब हम जानी
अदमी अदमी के जोरे ला
सनकी तनिका तब हम जानी
जुलुम जराईं, बिजुरी बनिके
ठनकी तनिका तब हम जानी
परमारथ ला सूरज बन के
धनकी तनिका तब हम जानी
रूप के धाहे शीशा जइसन
चनकीं तनिका तब हम जानी
राजनीति के दानव सिरे
हनकी तनिका तब हम जानी