भोला भक्त झगरू

रवि कुमार गिरी

झगरू क गाँव का बगल का गाँव से हमेशा पानी पटवन लेके झगड़ा हो जात रहे, बाकिर जब झगरू गाँव में रहस त ओह लोग के हिम्मत ना पड़े. काहे से कि झगरू अकेलही सौ के बराबर रहलन ताकत में.

एक बेर अतवार के दुनु गाँव में झगड़ा हो गइल. ऊ लोग लड़े खातिर चढ़ के आइल बाकिर झगरू के देख के भाग पराइल लोग. बाद में ऊ लोग आपस में बिचार कइलस, झगरुआ ओह गाँव में रही त पानी हमनी के ना मिली. त एगो काम कइल जाव. जहिया झगरू गाव में ना रहिअन ओहदिने चढाई कर दिआव. एक जाना बतवले काल्ह सोमार हऽ आ झगरू मेंह्दार बाबा महेन्द्रानाथ के जल चढ़ावे जइहन. झगरू भोला भक्त रहलें आ हर सोमार के उनकर पूजा करे जासु. दुसरका जाना कहले तू ठीक कहत बाड़. उनका मेह्दार से आवे जावे में ८ - १० घंटा लाग जाई तले हमनी के काम हो जाई.

सोमार के सबेरे झगरू नहा धोआ के मेंह्दार खातिर चल दिहलन. अभी ऊ बाजार के पछिमे गइल होइअन, तले ऊ लोग बंधा पर चढाई क दिहल. गाँव में केहू आके कहलस त ओनियो से तैयार होके चल दिहल लोग. तबही एक आदमी कहलन की झगरू नइखन लउकत. उनकरा घरे गइला पर पता चलल आध घन्टा पहिलही मेंह्दार खातिर निकलल बाड़न. अब ऊ लोग सोचे लागल के तेज दउड़ेला, तबे एक जाना कहले की डाक बाबू क लगे साईकिल बा. काहे ना उनकरे के भेजाव. डाक बाबु साईकिल निकलले आ चल दिहले , बाकि लोग बांध के लगे आइल तले बांध कटा गइल रहे. एगो झगरू के कमी के वजह ऊ लोग भारी पड़त रहे. एने से केहू के हिमत ना पड़त रहे. ओने एक कोस बाद डाक बाबू के भेंटइलन झगरू. मामिला पता चलते झगरू उल्टे पाँव दउर गइलन. डाक बाबू बोलते रह गइलन कि साईकिल से चलऽ. बाकिर झगरू खेता खेती दउड़ गइलन. बांध से एक फर्लांग पर होइहन तले एगो आदमी भेंटाइल. कहलसि का हो झगरू भाई, खाली हाथे लड़बऽ? ऊ आव देखले न ताव आ बँसवारी से एगो बांस उखाड़ लिहले, आ बांस लेले डाफट दौड़ गइले. सामने गाँव वाला लोग उनके देखलस त भाग पराइल. ई लोग रखेद मरलसि. बांध फेर बंधा गइल.

दू चार दिन बाद दुनु गाँव के पंचायत बिटोराइल. ऊ लोग गुहार करे लागल कि हमनी कमजोर बानी सन त का हमनी के खेत ना पाटी ? झगरू बीच में पंचायत से कहलन कि ऊ लोग के बोल दीं कि राय से रही लोग त दुनु ओर पानी बराबर जाई. ओकरा बाद कबो झगड़ा ना भइल.

झगरू पांडे का बारे में पढ़े खातिर आवत रहीं.


रवि कुमार गिरी,
कोलकाता, पश्चिम बंगाल