नूरैन अंसारी,

जिन्दगी परदेशी के

दिल रोवेला, अंखिया से बहेला आंसू.
कुछ देर अउर ठहर जाए के, कहेला आंसू.

पर हालात के आगे बेबस, मजबूर होखेलें.
जब एक परदेशी अपना घर से दूर होखेलें.

मत पूछी केतना निर्मम होला घर छोड़े के दुःख.
माई, बाबूजी औलाद से आपन मुंह मोड़े के दुःख.

त्याग जनम-धरती के हर त्याग से बड़ ह.
पर भूख पापी पेट के हर इच्छा के जड़ ह.

उ जीवन में कुछ कर गुजरे के लालसा से भरपूर होखेलें.
जब एक परदेशी अपना घर से दूर होखेलें.

बितल बतिया बचपन के रोके ले हमरा पांव के.
किरिया खियावे हमसे की मत छोड़अ अपना गांव के.

मगर मजबूरी इन्सान के हर किरिया पर भारी ह.
लेखा-जोखा जीवन के भगवन के चित्रकारी ह.

फर्ज से केहू के बाप, भाई, बेटा त केहू के सिंदूर होखेलें.
जब एक परदेशी अपना घर से दूर होखेलें.


नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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