कविता

नईहरवा छोड़े के पड़ी

नूरैन अंसारी,

पियवा के घरवा से नाता एक दिन जोड़े के पड़ी
केतनो बढ़िया होईहें नईहरवा, बाकिर छोड़े के पड़ी.

आखियाँ झर-झर लोर बहाई.
जिअरा रहि-रहि के पछताई.
बतिया बिछ्ड़ल सखियन के,
मन के याद हमेशा आई.
हंस-हंस अंखिया के लोरवा, बटोरे के पड़ी.
केतनो बढ़िया होईहें नईहरवा बाकिर छोड़े के पड़ी.

माई बाबुजी के प्यार.
भईया भाभी के दुलार.
कईसे भूल जाई मनवा,
छोटका छोटकी से तकरार.
करेजवा के टुकडा से मुंह आपन मोड़े के पड़ी.
केतनो बढ़िया होईहें नईहरवा, बाकिर छोड़े के पड़ी.

जब छूटी बचपन के निशानी.
लागी सगरी दुनिया बिरानी.
पर निभावे के पड़ी हर हाल में,
दुनिया के दस्तूर पुरानी.
फूलवा ससुरारी के बगिया के लोढे के पड़ी.
केतनो बढ़िया होईहें नईहरवा, बाकिर छोड़े के पड़ी.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
EXL Service.com
A-48, Sector-58, Noida-201301
T :+ 91 120 244 4744 Extn : 203;
M : + 91 9911176564
Website : www.exlservice.com