डा॰रामरक्षा मिश्र विमल

कविता

आइल स्वाइन फ्लू

खिरिकी दरवाजा सब बंद भइल अब आइल स्वाइन फ्लू
बचिह भइया आफति के आफति अफनाइल स्वाइन फ्लू
का जाने केकरा के कहँवा कहिया पटकनिया दे दी
लूका छीपी के खेला में बा ढुकि आइल स्वाइन फ्लू
मास्क बिकाता कीने के बा जल्दी ना त बिकि जाई
खाना त काल्हो मिल जाई पँजरा आइल स्वाइन फ्लू
कवनो बड़हन महफिल में अङुरी पर लोग गिना जाले
इनफेक्शन के दहशत लेके बाटे आइल स्वाइन फ्लू
तनिको सर्दी खाँसी ना बरदाश करेले लोग कहीं
आपन के अब आन बनावत आगे आइल स्वाइन फ्लू
उग्रवाद आतंकवाद के चरचा पीछे छूट गइल
टीवी पर रोजे गिनवावे आपन मारल स्वाइन फ्लू


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