भोजपुरी साहित्य आ संस्कृति विषय पर भिखारी ठाकुर गोष्ठी

Vinay Kumar of JNUअपने सभे से आग्रह बा कि १८ दिसम्बर २००९ का दिने जवाहरलाल यूनिवर्सिटी परिवार एगो संगोष्ठी के आयोजन कर रहल बा जवना में रउरा सभे बड़हन संख्या में शामिल हो के अपना विचार के आदान प्रदान करीं. एह आयोजन के मकसद भोजपुरी संस्कृति में दिनोदिन बढ़ रहल अपसंस्कृति का खिलाफ मुहिम खड़ा कइल बा जवना में रउरा सभे के भागीदारी आ विचार विमर्श के बहुते जरुरत बा.

आजु का वैश्वीकरण का जमाना में दुनिया के हर भाषा बोली आ औकर संस्कृति फरत फुलात बा आ आपन पहिचान बना रहल बा, बाकिर देश विदेश में बोलल जा रहल भोजपुरी का साथ नब्बे का दशक से दुर्वयवहार हो रहल बा आ एकरा खातिर पश्चिमी सभ्यता भा संस्कृतिये जिम्मेदार नइखे, हमहू रउरा बानी जा. भोजपुरी के गाना आ गायक लोग भोजपुरी के मधुरता आ मिठास के सत्यानाश करे में लागल बा.

जरुरत बा कि भोजपुरी का साथ न्याय करे खातिर हम रउरा सभे केहू एक साथ खड़ा होखो आ ई तबहिये संभव हो पाई जब हमनी का अपना व्यवहार में भोजपुरी के शामिल करब जा. हमनी बिहारी भा पूरबियन का साथे हो रहल भेदभाव के सबसे बड़ कारण बा हमनी के मातृभाषा के तिरस्कार कइल. सामाजिक आ सांस्कृतिक रूप से संगठित लोगन का साथ बदतमीजी ना हो पावे जतना कि असंगठित लोग का साथ होला. महाराष्ट्र आ पश्चिमोतर प्रान्तन में कुछ अराजकतावादी तत्व बिहार आ यू पी के लोगन ( दैनिक वेतनभोगी मजदूर, व्यापारी, नौकरी - पेशा, शिक्षा जइसन व्यवसायन से जुड़ल लोगन ) पर जे तरह अत्याचार कर रहल बाड़े ऊ हमनी का आपस में संवाद-हीनता देखावत बा. विदेशन में भारतीयन आए दिन हो रहल अत्याचारो एकर एगो सशक्त उदहारण बा.

एहसे जरुरी बा कि हम सब भोजपुरी भाषा- भाषी लोग आपस में संवाद कायम राखे खातिर जाति, धर्म, संप्रदाय आ राज्य का सीमा से ऊपर उठी जा आ आपस के सगरी मतभेद भुला के एक साथ रहे के आदत डाली जा. वइसे त अभ शहर में आ गइला पर ई विरोधाभास खतम हो रहल बा बाकिर हमनी के एके माला में पिरोए के ताकत राखे वाली भोजपुरी के पता ना कहिया ले हमनी का तिरस्कार का नज़र से देखब जा. चाँद पर चल गइल आ अपना महतारी के भुला दिहल होशियारी ना हऽ.

कुछुओ पहिरीं कुछुओ खाईं, बसी कतहुओं केंदूं जाईं
माई के बोली मत बिसराईं ! माई के बोली मत बिसराईं !!

विनय कुमार, जे एन यू
न्यू देलही- ६७
९८७१३८७३२६