भउजी हो

आईं ए हमार वेलेन्टाइन !

का भउजी ? आजु उलटबाँसी काहे ?

भोजपुरिया लोग माडर्न हो गइल बा एह चलते सोचनी कि हमहूँ तनी स्मार्ट हो जाईं.

अइसन काहे कहत बाड़ू ?

महाशिवरात्रि भुला जात बा लोग बाकिर वेलेन्टाइन डे याद रहत बा.

केकरा भउजी ?

नाच के लड़ाई लड़े वाला लोग के.

बाकिर ओहमें भोजपुरी कहाँ बा भउजी ?

एंकर का भाषा में, गीत गवनई में, आ अहम का टकराव में.

अहम के टकराव पर भोजपुरिये लोग के बपौती ह का ?

सुनले नइखीं ? गठरिया तोर कि मोर ? अगर कहलस गठरिया मोर, त पहिले कपरवा फोड़ फेर गठरिया छोड़.

जाये द भउजी, भूल चूक होत रहेला. सावन का पहिलका बरखा का बाद जब बेंग टर्राले सँ त ओहमें संगीत ना खोजल जाला. ढेर दिन ले शीत निद्रा में सूतल बेंग बरखा का बाद जागे लें त खुशी में टर्राये लागेलें. भोजपुरी आजु ओहि दौर से गुजरत बिया. सभे आपन आवाज निकालल चाहत बा त थोड़ बहुत उपर नीचे होइये सकेला. हमनी का खुश होखे के चाहीं कि आजु भोजपुरी के ताकत अतना बढ़ रहल बा.

चलीं त अब फगुआ गावल जाव !

अब कइसे जियबू भउजइयो, भईया गइले नयपाल ?

पिया परदेस देवर घरे लड़िका सूतल भसुर के जगाईं कइसे लागल फुफुति में आग बुताईं कइसे ?

जियऽ हो भउजी.