भोला बाबू

बात के दू गो मतलब

भोला बाबू बाजारे गइल रहलन. बाजार से गुजरत घरी उनका कान में एगो औरत आ एगो मरद के बात सुनाई दिहलसि. थोड़ देर रुक के ऊ सुने लगलन.

मेहररुआ कहलसि - का हो आज ना लेबऽ का?

जवाब में मरदा बोललसि - ना. तोर रोजे फाट जाता.

आजु ले के देख लऽ ना, आजु ना फाटी.

काहे आजु कुछ दोसर जतन करिके आइल बाड़ू का?

हँ, आजु एकदम ताजा बा.

कईसे मान लीं?

उघार के देख लऽ!

अतना सुनते तमतमाइल भोला बाबू लपकि के ओह मरद के गरदन पकड़ लिहलन. कहलन कि का रे, भरल बाजार में तोहनी के बोले के सुध ना रहेला कि का बतियाईं, का ना?

ऊ अदमी भोला बाबू के चिन्हत रहे. गरदन छोड़ावत पुछलसि, का भइल भोला बाबू? काहे अतना खिसियाइल बानी?

भोला बाबू कहलन तोहनी का का बतियावत रहलन ह स?

ई हमार दूधवाली हऽ. एने कई दिन से बसिया दूध दे जात रहल हिय. आजु कहनी ह कि ना लेम त जिदिया गइल हिय कि काहे ना लेब. कहलस हिय कि बाल्टी उघार के देख लऽ. एहमें अतना खराब बात का हो गइल जे रउरा गरमा गइनी ह? भोला बाबू का मुँह से बकार ना फूटल. त फेर उहे कहलसि, भोला बाबू, नंगई सुने वाला का आँख मे आ कान में होला. कवनो बात के दू गो मतलब निकालल जा सकेला. बतिया खराब ना होला बतिया के मतलब निकाले वाला के सोच खराब होला. भोला बाबू कुछ ना कहलन आ सोचत चलि गइलन.