अँजोरिया के संपादकीय नीति में बदलाव

इन्टरनेट एगो सजग माध्यम ह जहाँ हर पन्ना के हिसाब रखाला. एहिजा पन्ना अपलोड कइल आसान होला ओकरा के हटावल असम्भव. काहे कि हर पन्ना के कहीं ना कहीं कवनो ना कवनो संस्था अपना आर्काइव में जोड़त चलि जाला.

इन्टरनेट पर आवेवाला पाठक पाठिका अक्सरहाँ कवनो ना कवनो सर्च इंजन के इस्तेमाल करेले. हर सर्च इंजन के अलगा अलगा नीति नियम होला बाकिर एक मामिला में करीब करीब सगरी सर्च इंजन एकमत होले आ ऊ ह कवनो दोसरा जगहा प्रकाशित रचना के फेर से कवनो दोसरा जगहा प्रकाशित कइला पर नाराजगी. सर्च इंजन ना चाहस कि एकही तरह के सामग्री शब्दवार कई जगहा प्रकाशित होखो. अगर कवनो वेबसाइट नियमित रुप से अइसन करेला त सर्च इंजन अपना रैंकिंग में ओकरा के बढ़िया जगहा ना देस.

अँजोरिया एह दिसाईं काफी उदारमना रहल बिया. बहुत आदर का साथे एहिजा पूर्व प्रकाशित रचना प्रकाशित होत आइल बा. एकर खामियाजो भुगतले बिया अँजोरिया. अब बहुत दुख का साथ निर्णय लिहल जा रहल बा कि अबसे अइसन ना हो पाई. अगर राउर रचना इन्टरनेट पर कतहीं अउर प्रकाशित हो चुकल बा, भा प्रकाशित होखे वाला बा त ओह सामग्री के अँजोरिया पर प्रकाशन खातिर मत भेजीं. दोसरे अबसे सामग्री चयन के मापदण्ड कुछ कड़ा कर दिहल बा आ जवना रचना में ढेर सुधार के जरुरत बुझाई ओकरो के प्रकाशित ना कइल जाई. अगर रउरा लगे आपन ब्लागस्पॉट बा, आपन अलगा साइट बा त भोजपुरी के सामग्री ओहिजे प्रकाशित करीं.

हँ, अगर रचना प्रिन्ट में प्रकाशित बा आ नेट पर उपलब्ध नइखे त ओह सामग्री के बहुते आदर सम्मान का साथ स्वागत बा. दोसरा भाषा के रचना के अनुवादो लिखनिहार के अनुमति से प्रकाशित होत रही. हँ एह डुप्लीकेट कंटेंट का घेरा में खबर, फिल्म, संगीत, थियेटर वगैरह ना आई काहे कि ऊ सामग्री स्वाभाववश कई जगहा प्रकाशित होले.

भरसक बिना मँगले कवनो रचना मत भेजीं. पाठक पाठिका लोग के हम आश्वस्त करत बानी कि पढ़े लायक सामग्री के कमे ना होखे दिहल जाई आ भोजपुरी के प्रतिनिधि साहित्य भरपूर परोसल जात रही.

एह निर्णय से होखे वाला असुविधा खातिर क्षमायाचना सहित,
राउर,
संपादक, अँजोरिया.

5 Comments

  1. संतोष पटेल

    sampadji
    raur niryan se purntaya sahmat bani. umed ba raur bhawana ke samman sabhi log kari.
    sasamman
    santosh patel.

  2. प्रभाकर पाण्डेय

    दोसरे अबसे सामग्री चयन के मापदण्ड कुछ कड़ा कर दिहल बा आ जवना रचना में ढेर सुधार के जरुरत बुझाई ओकरो के प्रकाशित ना कइल जाई. ……………………

    एकदम सही संपादकजी, ए से सबसे बड़हन फायदा इ होई की इहाँ खालि उच्चस्तरीय रचचन के ही जगहि मिली जवने से अँजोरिया के महत्ता अउर बढ़ि जाई अउर पाठक लोगीं के भी अच्छा रचना पढ़े के मिली।।

    बहुत प्रसंसनीय कदम।। सादर।।

  3. Noor Alam Baadshah

    swagatyogya kadam

  4. Praveen

    एगो गीत सुनले रही ” मै करू तो साला करेक्टर ढीला है !