– अशोक द्विवेदी

DrAshokDvivedi
आपन भाषा आपन गाँव,
सुबहित मिलल न अबले ठाँव ।

दउरत-हाँफत,जरत घाम में,
जोहीं रोज पसर भर छाँव ।

जिनिगी जुआ भइल शकुनी के,
हम्हीं जुधिष्ठिर, हारीं दाँव ।

कमरी ओढ़ले लोग मिलत बा
केकर केकर लीहीं नाँव ।

जरलो पर बा अँइठन एतना,
सब अमीर , सब बा उमराँव ।

अपने उगिलल बिख ना उतरे,
मन्तर जाला रोजे बाँव ।

गील भइल परथन पिसान के,
गुन-गिहिथान, बिना मलिकाँव !!

0 Comments

Submit a Comment

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।