अंजोरिया के दुसरका जनम

रोज रोज ना सही हप्तो महीना ना आ पवला के अफसोस अंजोरिया आ भोजपुरी के एगो प्रेमी के बहुते भइल. कहलन कि ई का कि रउरा अंजोरिया बन्द करे के फैसला कर लिहनी आ हमरा से एको बेर बतवनी ना !
हम कहनी कि पिछला दू महीना से ई कहानी कहे लागल रहीं बाकिर केहू सुनेवाला ना मिलल. कम से कम सौ गो भोजपुरिया साहित्यकारन आ प्रेमियन का संपर्क में रहल बानी बाकिर केहू माला उठावे के तइयार ना रहल से केहू हमरा से पूछबो ना कइल कि का कइला से अंजोरिया के जियतार राखल जा सकेला ?
खैर ई अंजोरिया प्रेमी सचहूं के भामाशाह निकललन. कहलन कि रउरा अंजोरिया के होस्टिंग के चिन्ता मत करीं. ई पक्ष ऊ सम्हार लीहन आ हो सकी त बाद में एकर अउरिओ जिम्मेदारी ले लीहें, बाकिर अबहीं ना. जतना दिन ले हो सके हम एकरा में सामग्री जोड़त रहीं. बाद के बाति बाद में देखल जाई.
त पनरह दिन के गरहन का बाद फेरू अंजोरिया अंजोर हो गइल. पता ना रउरा सभे के नीक लागल कि ना. होखे के ईहो हो सकेला कि फेर आ गइल. भोजपुरी के वेबसाइटन के, चैनलन के, पत्र-पत्रिकन के जम्हुआ छुवे के एगो लमहर परम्परा बन गइल बा. अंजोरिया के 21 बरीस में पता ना कतना नया नया वेबसाइट अइली सँ, महुआ आ ओकरा बाद कई एक गो टीवी चैनलो अइली सँ बाकिर आम भोजपुरियन के अइसन छोह होला भोजपुरी से कि ऊ लोग चाहे ना कि ई सब चलत रहे. खैर. गरहन खतम भइल त हम आभारी बानी अपना नयका भामाशाह के. अफसोस बा त बस इहे कि उनुका बारे में हम रउरा के बता ना सकीं. बहुते आभार उनुकर.
हमरा अब सतोष बा कि केहू अउरिओ आ गइल जे एह मशाल के आगे ले जात रही.
रउरा सभे के अभिनन्दन.
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