इश्क_वहशी_भइल_बा! ( खूनी दुल्हन )
– रामसागर सिंह
ना सेनुर के लाज बा, ना सिन्होरा के मान बा,
इश्क वहशी भइल बा, बनवले हैवान बा!
बाप महतारी के ना भरम के फिकिर बा,
जुबान पर इश्क, इश्कबाजी के जिकिर बा,
ममता, दुलार,प्यार, भइल लहुलुहान बा,
इश्क वहशी भइल बा, बनवले हैवान बा!
अनसुइया के ज्ञान धराइल बा छान्ही पर,
संस्कार के मोटरी फेंकाइल बा बान्ही पर,
ना सावित्री के सत्त के केहू के भान बा,
इश्क वहशी भइल बा, बनवले हैवान बा!
सात फेरा लिहला के बांचल ना मान अब,
सातो वचनिया भइल बोझा समान अब,
भइल पंडित पुरोहित के मंतर जियान बा,
इश्क वहशी भइल बा, बनवले हैवान बा!
रहली रामसागर कबो सावित्री जस सती,
यमराजे से वर मांगी जिया लिहली पति,
अब तऽ यमराजे के हाथे दियात सत्यवान बा,
इश्क वहशी भइल बा, बनवले हैवान बा!
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