उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के फेर से सक्रिय बनावे के माँग

साहित्य अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री के चिट्ठी लिख के माँग कइले बाड़न कि हिंदी संस्थान के फेर से सक्रिय कइल जाव, तय भइला का बाद रद्द पुरस्कारन के दिहल जाव आ आवे वाला दिनो में एह पुरस्कारन के जारी राखल जाव. हिंदी संस्थान के पुरस्कारन के सबले बड़का खासियत रहे कि ई पुरस्कार अखिल भारतीय स्तर पर दिहल जात रहुवे आ अहिन्दीओ भाषी इलाकन के हिंदी लेखकन के दिहल जात रहे. कहले बाड़न कि जवन समाज अपना लेखक कलाकारन के सम्मान कइल छोड़ देला ऊ समाज गँवे गँवे खतम हो जाला.

साल २००९ १० में दिहल जावे वाला एक सौ पुरस्कारन के फैसला एगो विधिवत गठित समिति सर्वसम्मत तरीका से कइले रहुवे. एह समिति में तब के मुख्य सचिव, भाषा सचिव, संस्थान के अध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति, आ लेखकन में बालशौरी रेड्डी, कामतानाथ, ओम प्रकाश वाल्मीकि आ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी शामिल रहलें. बाकिर सरकार तीन गो पुरस्कारन के छोड़ बाकी सगरी पुरस्कार रद्द कर दिहलसि. कहल त कुछ ना गइल बाकिर हवा में बात इहे रहल कि पुरस्कृत लेखकन में दलित लेखकन के संख्या कम रहला आ लोहिया, लिमये, आ दीनदयाल का नामन पर पुरस्कार दिहला का चलते एहनी के रद्द कर दिहल गइल रहे.

डा॰ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष पद से रिटायर हो चुकल बानी.

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