एगो लड़ाई बाकी बा

पीएम मोदी अपना दस बरीस का शासन मेें कई गो बड़का काम आसानी सेे निपटा चुकलन, बाकिर एगो बड़हन लड़ाई अबही बाकी बा. आ एह लड़ाई सेे ऊ भाग ना सकसु.

अब रउरा सभेे कहब कि जवन मनई धारा 370 केे बेेअसर करा दिहलन, भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर एगो भव्य आ दिव्य मन्दिर के निर्माण करवा दिहलन, उनुका ला कवन काम भा लड़ाई कठिन हो सकेला ?

जइसेे कि किसानन खातिर तीन गो कानून केे वापस लेेेेेेेबेे ला मजबूर हो गइलन, नागरिकता कानून ना लेे आ सकलन, हिन्दू मन्दिरन केे सरकारी कब्जा सेे मुक्त ना करा सकलन वइसनेे कठिन लड़ाई होखे वाला बा न्यायपालिका में बाप केे राज स्थापित करवा देबेे वाला कोलेेजियम प्रणाली के खतम करावल. आ तय मान लीं कि अगर मोदी का रहतेे ई काम ना हो सकल त दोसरा केेहू में एकर बूतेे ना होखी.

दुनिया मेें कवनो अइसन उदाहरण नइखेे जहवां जज अपना उत्तराधिकारियन केे नियुक्ति ओही तरह करत-करावत बाड़न जइसेे राजशाही मेे राजा अपना बेेटा भा अपना पसन्द केे कवनो आदमी केे राजा बना दीहल करत रहलेें.

कहल जाला कि न्यायपालिका के आलोचना ना करेे केे चाहीं. ठीक कहात रहल होखी ओह जमाना मेें जब न्यायमूर्ती अपना केे न्याय का अधीन मानत रहल होखिहेें. अब त ई लोग न्यायाधीश हो गइल बा, न्याय केे अपना अधीन राखे वाला न्यायाधीश (न्याय+अधीश) ! कहेला ई लोग कि सबकुछ संविधान का हिसाब सेे होखे के चाहीं, बस जजन के बहाली आ स्थानान्तरण करेे केे अधिकार जजे का हाथ में होखेे के चाहीं. अगर संविधान में कतहीं एह व्यवस्था के जिक्र नइखे त का ! जजन केे ई विशेेषाधिकार में बा कि ऊ जवन चहीहें कानून बना सकेले. भाँड़ में जाए विधायिका आ कार्यपालिका. विधायिका देेश के जनता के चुनल होखेेलेें आ कार्यपालिका के लोग बाकायदा बनल प्रणाली का तहत चुनाला. बाकिर जजेे ई तय करीहें कि उनुका बाद केे जज बनी आ कवना जज केे कहवाँ बहाल कइल जाव.

इलेेक्टोरल बाण्ड लेके आइल फैैसला त गजबेे केे बा. कहल गइल कि जनता के अधिकार होखे के चाहीं कि ओकरा मालूम होखे केे जेेकरा केे ऊ चुनत बा ओकरा केे चन्दा केे आ कतना देेत बा. बाकिर जनता केे ई अधिकार मेे नइखेे कि ओकरा मालूम होखे कि कवना जज के बहाली कवना आधार पर कइल गइल, सविधान केे कवना प्रावधान का तहत कइल गइल आ अगर कवनो नियुक्ति कोलेजियम केे पसन्द ना बन सकल त कवना कारण सेे !

क‌ानूनी प्रावधान हमेेशा लागू होखेे का दिन का बाद सेे लागू होखेे केे चाहीं. ई ना कि आजु कानून बना दीं कि जेेकरा दू गो से बेसी संतान बा ओकरा केे कवनो सरकारी नौकरी, संरक्षण, चुनाव लड़ेे केे अधिकार, मतदान करेे केे अधिकार ना दीहल जाई आ एह कानून के पिछला सत्तर बरीस सेे लागू कर दीं.

जहिया इलेेक्टोरल बाण्ड केे प्रणाली लागू कइल गइल रहल तहिया चंदा देबेे वाला केे उमेद रहल कि ओकर नाम केहू केे ना बतावल जाई. ऊ एही भरोसेे चेक सेे चंदा देबेे केे जोखिम उठवलेे रहुवेे. अब मान लीं कि पता चल जाव कि कवन उद्योगपति विरोधी गोलन केे चंदा दिहले बाड़ेे आ कतना त उनुकर का हालत हो जाई मौजूदा सरकार मेें. आ अगर कहीं जेे चंदा भाजपा केे दीहल गइल तब अगर जे अगिला चुनाव का बाद सरकार बदल गइल तब इंडी गठबन्धन वाली सरकार ओकर का हालत बना दी.

आ ओहूले मजेेदार बात ई बा कि सीबीआई केे कहना रहुवेे कि ओकरा कुछ समय चाहीं जेहसे ऊ पक्का तौर पर पूरा आंकड़ा दे सके कि केेकर खरीदल इलेक्टोरल बाण्ड कवना गोल का खाता मेें जमा करावल गइल. बाकिर कोर्ट केे कहना बा कि बैंक बस इहे बता देव कि केे के कतना के इलेक्टोरल बाण्ड खरीदलसि आ कवन कवन गोल कतना केे बाण्ड भँजवलसि. बाकिर एकरा बाद त अउर बखेड़ा खड़ा हो जाई. हर उद्योगपति का बारेे में हवा उड़ा दीहल जाई कि ओकर अतना के बाण्ड फलांं गोल भँजवलसि. आ बेचारा उद्योगपति दुनू ओर सेे लात खाए का पोजीशन में आ जइहें.

रउरा सभे के का लागत बा ? हम कतना गलत बानी, कतना सही ? रहल बात कोर्ट के अवमानना केे त सुप्रीम कोर्ट अपना अवमानना का केेस मेें एगो मशहूर आ करोड़पति अधिवक्ता पर एक रुपिया के जुर्माना लगा केे भाव खोल दिहले बावेे एक तरह से कि ओकर मानना एक कौड़ी से बेेसी केे नइखेे.

0 Comments