– हरेंद्र हिमकर
कहिया ले अाशा के तमाशा चली भाई लोगिन ?
कहिया ले दिल्ली के दुलारी भोजपुरिया?
कहिया ले मान मिली माई भोजपुरिया के?
कहिया ले बात से ठगाई भोजपुरिया?
माई के जो मान ना त काथी के गुमान भाई?
कईसे चलता सीना तान भोजपुरिया?
आठवीं सूची मे नाम डाले में बा दांव-पेच
इहे समझे में बा नादान भोजपुरिया.
ताल ठोक लीं सभे आ मोछवा पर हाथ फेरीं
हुमकी के हाथ मे उठाई लीं लउरिया
एक बेर चलीं सभे दिल्ली के हिलाई दिहीं
छोड़ दीं सबुर बिसरा दीं मजबुरिया।
काहे के डेराएल बानी, कातना सेराएल बानी!
हुलसीं त जोत कगी, बिहंसी अंजोरिया.
– रक्सौल चम्पारण
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