कांग्रेसो मार खा गइल अंजोरिया का तरह


वेबसाइट के दुनिया एगो अलगे दुनिया ह. आम दुनिया में जनमला का बाद नाम धराला बाकिर वेबसाइट का दुनिया में पहिले नाम धइला का बादे कुछ जनमावे के चाहीं.

अमर-अकबर-एंथोनी वगैरह नाम लाखों करोड़ौं लोग के हो सकेला. ओकरा के छोट छोट समूह में बाँट दीहल जाला सरनेम लगा के. वेबसाइटो का दुनिया में सैकड़न सरनेम होखेला. कॉम, नेट, आर्ग, इन, वगैरह वगैरह. एहसे कवनो वेबसाइट बनावे के होखे भा कवनो उत्पादन करे के होखे, कवनो संगठन भा संस्था बनावे के होखे त नाम पहिले सोचाला. फेर पता लगावल जाला कि ऊ नाम उपलब्ध बा कि ना. कई बेर अइसन होला कि नाम खोजला का साथही पहिलहीं से ढुका लागल रोबोट/बॉट के पता लाग जाला कि एह नाम के खोजाई हो रहल बा आ ओकरा साथही ओह से मिलल-जुलत हर तरह के डोमेन बुक हो जाला. एहसे पहिले दू तीन गो नाम पहिले से सोच के ओकर पसंद क्रम बना राखीं. इहो तय कर लीं कि सरनेम – माने कि फलां.कॉम / फलां.इन / फलां.आर्ग / फलां.नेट वगैरह का तरह. ओकरा बादे सर्च करे चलीं. आ तय कर लीं कि राउर डेबिट/क्रेडिट कार्ड, ओकर पिन आ ओकरा से जुड़ल मोबाइल रउरा सामने राखल बा. अब जइसहीं पहिलका पसंद वाला नाम मिल जाव त तुरते बुक कर लीं, पूछा-पाछी, राय-विचार बाद में कर लेब ना त केहू दोसर नाम ले उड़ी.

बीसो बरीस से अधिका हो गइल जब साल 2003 में हम बलिया के एगो इ्टरनेट कैफे में अंजोरिया के बुक कइले रहीं. भोजपुरी वेबसाइट खातिर हमरा मन में पहिलका नाम इहे आइल रहुवे काहें कि हमरा मन में पश्चिम बंगाल का हुगली से छपल एगो भोजपुरी पत्रिका बसल रहुवे. आ एहिजे हम मार खा गइनीं. ठीक बा भोजपुरी.कॉम केहू दोसर बुक करा के रखले रहुवे, आजुवो ले रखले बा बाकिर ओकरा पर कुछ कइले नइखे. काहें कि ऊ आदमी भा कंपनी भोजपुरी वाला त नाहिए होखी. तब भोजपुरी से जुड़ल कुछ याहू ग्रुप सक्रिय रहली सँ बाकिर सभ पर सगरी काम अंगरेजी भा रोमन लिपि में होखल करे. देवनागरी के फॉण्ट सर्वत्र सुलभ ना रहुवे आ युनिकोड तब बनलो ना रहुवे. से भोजपुरी में लिखल बात भोजपुरी में लउक पावे ओकरा खातिर देवनागरी के फॉण्ट के लिंक देत रहनी. लिंक एगो सरकारी संस्था के रहुवे. खुद फॉण्ट उपलब्ध करावे के बेंवत ना रहुवे आ कॉपीराइट वगैरह ला हम शुरुए से सावधान रहनी. आजु ले कवनो लेखक भा कवि के रचना तबले अँजोरिया पर ना डालीं जबले उनुका से अनुमति ना मिल जाव. अलग बाति बा कि इंटरनेट के दुनिया में उठाईगीर भरल पड़ल बाड़ें. राउर रचना का साथे अगर राउरे नाम जात बा त शायद रउरा बर्दाश्तो कर लेब बाकिर ई उठाईगीर राउर लिखल उड़ा के अपना नाम का साथे डाल दीहल करेलें.

खैर ई सब त बाति अब पुरान हो गइल. आजु के लेख के मथैला पर लवटल जाय. मथैला पर लवटला के बात कहते सोशल मीडिया के सिरदर्द इयाद आ गइल. छुटभईयने ना बड़का-बड़का यू ट्यूब चैनल के मथैला देखि-पढ़ि के रउरा जब ओह वीडियो के देखल-सुनल शुरु करब तब देरि ले ऊ बात ना भेंटाई जवना के जिक्र मथैला में कइल गइल होखी. इहो हो सकेला कि वीडियो पूरा हो जाव बिना मथैला के छुवले.

मानत बानी कि मथैला बनावले एह से जाला कि रउरा मन में उत्कंठा होखो आ रउरा ओह वीडियो के देखल-सुनल शुरु कर दीं. आजु हम मथैला दिहले बानी कि – कांग्रेसो मार खा गइल अंजोरिया का तरह – आ रउरा जरुर सोचले होखब कि ई का बाति भइल. कहाँ राजा भोज आ कहाँ गंगुआ तेली ! अंजोरिया बेवजह आपन भाव बढ़ावत बावे कांग्रेस के नाम ले के. बाकिर अइसन बाति नइखे. सचहूं कांग्रेसो मार खा गइल अंजोरिया का तरह !

दू दिन पहिले कांग्रेस का तरफ से एलान भइल कि ऊ “डोनेट फॉर देश” अभियान चलाई जवना में हर देशवासी से निहोरा कइल जाई कि देश हित में कुछ दान कांग्रेस का फंड में भेज दीं. ओकरो उहे मतिभ्रम हो गइल बा जवन अंजोरिया के भइल. अंजोरियो कई महीना से अंजोरिया के भामाशाह अभियान चलावत बिया कि भोजपुरी के हित में अगर हो सके त एगारहो रुपिया के सहायता कर दीं. आजु ले दस गो भामाशाह ना भेंटा पइलें जबकि कहल जाला कि भोजपुरी भाषी दुनिया में पैंतीस करोड़ से अधिका बाड़ें.

कांग्रेसो के एही तरह के भरम हो गइल बा कि करोड़ों देशवासी में हजारो लाख लोग दान देबे सामने आ जाई त ओकर काम चल निकली. काहे कि कई बरीस से ऊ सत्ता से बहरी बिया आ लूटे-खसोटे के त छोड़िए दीं. एहिजा त नूनो मरीचा पर आफत आ गइल बा.

बाकिर कांग्रेस सपनो में ना सोचलसि कि हमेशा – हर घड़ी ना हर सेकेंड – भाजपा चुनावी मोड में रहेले. जबले ऊ डोनेट फॉर देश के बतियावते रहल होखी तबले भाजपा के रण-बाँकुड़ा नामे उड़ा ले गइलें आ आ गइल डोनेट फॉर देश का नाम वाला बेबसाइट. मिलत जुलत नाम वाला अउरिओ कई हो डोमेन अलग अलग संस्था बना लिहली सँ. कांग्रेस रह गइल मुँह ताकत. अब जवन नाम ओकरा मिल पावल बा ओह नाम में ऊ धार ना आ पाई जवना तरह के धार के ऊ सोचले रहुवे. डोनेट फॉर आईएनसी नाम के वेबसाइट देखते लोग भड़क जाई कि जवना कांग्रेस के एगो सांसद का अड्डा से चार सौ करोड़ से अधिका के नगदी बरामद भइल बा ओकरा ला डोनेट करे वाला कवनो बुड़बके नू होखी. अब खजुआवत रहसु आपन खोपड़ी खड़गे, चिरई त उड़ गइल.

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *