– पी एन सिंह
काल माने समय, सबेरे से साँझ, साँझ से सबेरे, जनवरी से दिसम्बर, एक तारीख से तीस. इकतीस तारीख ले, सालों साल, सगरी मौसम एही सबके बन्धन के काल भा कालचक्र कहल जाला. एकरो से परे माने कि हट के जवन होला ओकरा के महाकाल कहाला. आम भाषा मे मरला का बाद जेकर मौत भइल ओकरा ला कालचक्र खतम हो जाला.कालचक्र से परे हो जाला ऊ. आध्यात्मिक दृष्टि से देखल जाव त आदमी के मरला का बाद ओकर आत्मा शरीर से निकल के कास्मिक उर्जा का साथे मिल जाले. सनातनियन के मानना ह कि जहां भ्रमण के समय निर्धारित ना होखे ओह काल के महाकाल कहल जा सकेला. एह सगरी के गणना पृथ्वी के गति आ गुरुत्वाकर्षण का हिसाब से कइल जाला. एह पृथ्वी पर रउरा पाएब कि भारत के मानक समय कन्याकुमारी से श्रीनगर ले एकही होला जब कि अमेरिका में तीन गो मानक समय होला.
हमनी के ऋषि मुनि काल माने कि समय के गणना के परिकल्पना कर के पृथ्वी पर अक्षांश रेखा आ देशान्तर रेखा के रुपरेखा बनवलें. देशांतर रेखाएं के प्राईम मेरिडियन रेखा जवन कि नार्थ पोल आर्टीक से चलके अक्षांश रेखा के कर्क रेखा – ट्रौपीक आफ कैंसर – के काटत भा कहीश कि लाँघत साउथ पोल अंटार्कटिका तक जाले. लान्गीचूडनल देशान्तरीक प्राईम मेरिडियन पृथ्वी के जवना जगह पर कर्क रेखा लाँघेले ओहिजा उज्जैन बसल बा. पहिले उज्जैन के नाम अवन्तिका रहुवे. एही जगहा पर महाकाल बाबा महादेव के मंदिर बा. उज्जैन माने कि अवन्तिका वैदिक काल में ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन के केन्द्र रहुवे.
उज्जैने से हमहन के ऋषि मुनि पृथ्वी पर समय गणना, पंचांग, नक्षत्रन आ सौर्य मंडल के सगरी ग्रहन के गति आ गुरूत्वाकर्षण बल के गणना कइल करसु. पृथ्वी पर समय के गणना के काल भा कालचक्र कहल गइल. एकरा से हटके ब्रह्मांड में तारा अउर ग्रहन के गतिविधियन आ ओकरा गुरुत्वाकर्षण बल के गणना महाकाल कहाइल. आध्यात्मिक दृष्टि से देखल जाव त भगवान शिव, महादेव, के महाकाल का रूप में वर्णन कइल गइल बा आ सनातन में ई सर्व मान्य बा. एकर मुख्य कारण बा कि भगवान ब्रह्मा जी के श्रृष्टि कर्ता, भगवान विष्णु जी के पालन कर्ता अउर भगवान शिव महादेव जी के संहारकर्ता, माने कि कालचक्र से परे, मानल गइल बा सनातन में. आ एही रुप में भगवान शिव महादेव के पूजा अर्चना होखल करेला. भगवान ब्रह्मा जी के सृजित जीवन कालचक्र आ भगवान विष्णु द्वारा पालन कइल जीवन कालचक्र से बन्हाइल होला जबकि भगवान शिव महादेव जी के संहारित जीवन एह कालचक्र से परे हो जाला. एही से उनुका के महाकाल बाबा कहल जाला.
सन् 1600 से पहिले आधुनिक विज्ञान के कवनो परिकल्पना ना मिले. जबकि हमनी के भारत भूमि पर वैदिके काल से हरएक के गणना होखत आइल बा जवन हमनी के पंचांग में देखे के मिलेला आ ई सबले बड़ प्रमाण बावे. जब भारत पर अंग्रेजन के शासन भइल त ऊ उज्जैन वाला समय गणना के ग्रीनविच मीन टाइम पर ले गइले. एकरा बादे विश्व भर खातरि एगो सर्व मान्य जी एम टी बन गइल.
कुछ दिन पहिले माननीय प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी जी उज्जैन में पच्चासी फ़ीट के उँचाई पर लगावल वैदिक घड़ी के उद्घाटन कइनी. वैदिक घड़ी का हऽ आ कवन काम करी. त जान लीं कि वैदिक घड़ी वर्तमान समय, कालचक्र, पंचांग का साथ ही साथ काल से परे महाकाल माने कि सूर्य सिद्धान्त का आधार पर सौर्यमंडल के सगरी ग्रहन के गति, चाल के पृथ्वी के गति से तुलना करत पृथ्वी के परिप्रेक्ष्य में सगरी ग्रह पर के समय आ गुरूत्वाकर्षण बल के जानकारी दी. ई ग्रहन के उपग्रहनो के जानकारी दिहला का साथही इहो बताई कि पृथ्वी पर, पृथ्वी के कवना भाग में ओह ग्रहन के गुरूत्वाकर्षण बल के का असर पड़ी.
विश्व में समय से आगे के चली माने कि महाकाल के सटीक अध्ययन कर के के लाभ उठाई एकरे होड़ लागल बा.
(मौसम विज्ञानी पी एन सिंह उत्तर रेलवे क्षेत्रीय उपभोक्ता सलाहकार समिति के सदस्य रहल बानी आ हरियाणा सरकार के मनोनीत विशिष्ट नागरिक हईं.)
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