डा॰ अशोक द्विवेदी
जब कबो बदलाव आवेला
विकास के नया नया नक्शा
उपरिया जाला !
कुछ दिन के चामक-चुमक
बइठक, मीतिंग, लाव-लश्कर
आ जलसा का धुरिया बावग में
नोचा जाला नक्शा
भा अचके बदलल सरकार का
नया फरमान पर,
मिमोर-चिंगोर के फेंका जाला.
अब त सड़क के खड़ंजा दुआरी का
डेढ़ बित्ता ऊपर आ गइल बा
लोग केहू तरे निबुकावत बा
गली-कुची हांच आ पनरोह के पानी
बन गइल बा नया विकास के निसानी !
मुँह फुलवले, रूसल बूढ़ लेखा
गाँव का उत्तर अलंगे झंखत बा –
पीपर के फेंड़ !
ओकरा चारू ओर बनल बेदी
ढहि-बहि गईल बा
पुरान-नोनियाइल ईंटा के खधरल देवाल वाला
खपड़इला घरन आ
नीचे मुँहे थसकत-ओलरल मड़इयन का बीच
कइले सीना उतान
दस-बीस गो पक्का मकान
खोंसले खपड़ोई में एन्टीना
वैस्वीकरण क झंडा फहरावत बाड़न सऽ
आ सड़की पर ले चढ़ल
मनबढ़ुवन के बेदी, नाद आ चरन
उन्हनीं के मुँह बिरावत बाड़न सऽ !
अब, कुछ लोगन का ठेंगा पर
बा पंचन के पंचाइत आ पंचाइत घर
जेकरा दरकत देवाल में
नीचे मुसकइल
ऊपर बिरनी के खोंता बा
ओरि में सपटल बाड़ी स बिछकुतिया
फाँफर जगहा में,
काहें ना अड्डा जमइहें स करइत ?
अब कवनो मनबढ़ू भा
बेवकूफे न ओइजा जाई ?
पंचाइत घर सबकर हऽ !
खर-कतवार घूर आ रेंड़वारी वाला ओकरा सहन में
बन्हालन स, सरपंच के बूढ़ बैल,
सूतेला परधान के कटहवा कुक्कुर,
सँबरू गोंड़ के छेरि ओइजा
रोजे मिमियात लेंड़ी गिरा जाली स !
चउधुर के गोइंठा ओईजा रोज पथाला
साँच पूछीं त
पंचाइत घर का ए दुर्दशा पर,
अब केहू ना अउँजाला !
भइबो कइल कई बेर चरचा :
कि पंचाइत घर ठीक होखे
आ अब से, जेवन काम होखे
नींक होखे
दिल्ली से नारा आइल
आई तब्बे सच्चा सुराज
फेरू से होई जब पंचायती राज !
बाकि करो त का करो
केकर-केकर दाढ़ी धरो गाँव ?
काकुल चउधुरी, हरखि चमार
आ रकटू भर का करिया तिकोन में
अँटकल बा फैसला
बाम्हन छत्री, भुइंहार अलगे अइंठत बाड़न
‘आम सहमति’ नइखे बनप पावत.
फैसला नया निर्मान के
गाँव के आन बान आ शान के
अब, सभे मिली गील करऽता
परथन पिसान के !
पांड़े का पुरा से चउधूर टोला ले
आ ठाकुर का मठिया से
परधान का खोरी ले
दू गो गड़ही बाड़ी स
बहुत बरियार —
चारू ओर से छिछिल, बीच मं गहिर
कींच-कानो भरल
एकदम सरल.
ओकरे करिया पानी में उतिराइल बा खर कतवार अस
संस्कृति आ रेवाज
नेकी-बदी, दोस्ती-दुश्मनी
कुछऊ साफ नइखे.
अतना जरतपन आ अनदेखउवल
कि सब, भितरे-भीतर रिन्हात चाउर अस
खदकत बा !
अशोक द्विवेदी जी के ई कविता अंजोरिया के पुरनका संस्करण पर अंजोर भइल रहल. ओह संस्करण के कुछेक सामग्री भोजपुरीअंजोरिया.ब्लॉगपोस्ट.कॉम पर डालल गइल बा. कुछ रचना एह नयके संस्करण पर अंजोर करत रहेनी.
एह कविता के तीन गो कड़ी बावे –
गाँव के कहानी (1)
गाँव के कहानी (2)
गाँव के कहानी (3)
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