घंटी बजा के भाग गइल नीक ना लागे

बीस बरीस से अँजोरिया के प्रकाशन लगातार कायम बा. एह बीचे पता ना कतने वेबसाइट बनली सँ आ बाद में अलोप होत गइली सँ. एकरा पीछे असल कारण बा रउरा सभन के अनदेखी. वेबसाइट चलाए वाला के पते ना चले कि रउरा का नीक लागल, का बाउर. अतना त पता चल जाला कि आजु कतना लोग (एहमें बॉटो शामिल रहेली सँ) आइल. कहवाँ से आइल, कवना पन्ना पर आइल. इहो मालूम हो जाला कि कतना देर ले पढ़लसि, कुछ अउर पन्ना पलटलसि कि ना. बाकिर ई तब ले पता ना चले कि रउरा जवन खोजे भा पढ़े अइनीं तवन भेंटाइल कि ना, आ अगर भेंटाइल त ऊ काम लायक रहल आ कि बेमतलब, बेकार. रसोईया के जब ई मालूम ना हो पावे कि जेवनहारन के नीक लागल कि ना, त ओकर मन छोट हो जाला. ओकर उत्साह मरे लागेला आ एक दिन उ चुपचाप अलोप हो जाला.

अँजोरिया चलावे के खरचा नाहियो त तीस हजार से उपर बा हर साल. कमाई होखे के नइखे. केहू विज्ञापन दीहि ना, केहू सहजोग करी ना, त कतना दिन ले ढो सकेला ढोवनहार. देर सबेर अँजोरियो के अन्हार होखहीं के बा. बस भगवान अतने किरिपा राखसु कि हमरा अलोप भइला का बाद अन्हार होखो अँजोरिया.

हालही में हम आपन बरीसन से सेवल फेसबुक के पन्ना हटा दिहनी. ट्विटरो से खर-पतवार के छँटईया चल रहल बा. एकरा पाछे के सबले बड़ कारण इहे बा कि रउरा सभे के टिप्पणी ना मिलेला. अपने हम फेसबुक पर जा ना पाईं से बहुते लोग के शिकायत हो सकेला कि हमहूं त कुछ टिपी ना ओह लोग के पोस्ट पर.

एहसे एगो नया पन्ना शुरु कइले बानी फेसबुक पर. anjoriadotcom रउरा ओकरा के फॉलो कर सकीलें अगर मन करे त, बाकिर एकर उमेद मत राखब कि हमहूं रउरा के फॉलो करे लागब. हो सकेला कि कुछ लोग के टाइमलाइन पर घूमत-घामत चल जाईं आ लाइक भा रिपोस्ट कर दीं बाकिर हमरो एकर उमेद ना रही कि रउरा हमरो के फॉलो करब. एहसे रउरो आजादी बा, हमरो.

दोसरे हो सकेला कि अँजोरिया के कवनो पन्ना भा पोस्ट पर रउरा एह चलते आपन टिप्पणी ना दीं कि आपन नाम आ ईमेल बतावे के पड़ जाई. अब से रउरा बिना आपन नाम ईमेल बतवले टिप्पणी कर सकीलें. बाकिर बाकी लोग ओकरा के तबे देखि पाई जब हम ओह टिप्पणी के पारित कर देब एह काम ला. आलोचना-प्रशंसा-राय बिना कवनो संशोधन के प्रकाशित कर दीहल जाई बाकिर तबहियें जब ऊ सोशल साइट पर देबे लायक रही. टिप्पणी करे के शुरु कर दीं आ देखीं हम कतना कटौती करल बानी ओकरा के पारित करे में.

चलत-चलत फेरु रेघरियावल चाहत बानीं कि अगर संभव होखे त कुछ ना कुछ आर्थिक सहयोग अँजोरिया के चलावे खातिर जरुर कर दीं. एगो किरिया हमरो ओर से बा कि जवन सहजोग रउरा करब तवना के इस्तेमाल एकरा के चलावे खातिर दीहल जाए वाला भुगतान का अलावे निजी काम ला ना करब. तीस हजार के सहजोग साल भर में मिल जाए के उमेद त नइखे, बाकिर अगर मिलल त रउरा सभे के हार्दिक अभिनन्दन.

1 Comment

  1. Editor

    Just testing ….
    बहुते आसान बा कुछ कहल भा लिखल. देवनागरी में लिखे में दिक्कत होखे त रोमने में लिख दीं.

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