जब तक पूरे ना हों फेरे सात तब तक बबुनी नहीं बबुआ की

राजश्री प्रोडक्शन के मशहूर फिलिम नदिया के पार कहल त गइल हिन्दी सिनेमा बाकिर कथ्य से लगाइत कथन ले एहमें भोजपुरी इलाका के सोन्ह सुगन्ध भरपूर बावे आ एकरा के भोरपुरिए के फिलिम मान लीहला में कवनो गलती ना होखी.

सवाल बा कि आजु अतना बरीसन बाद एह फिलिम के इयाद काहे आ गइल त एकरा एगो गीत के मुखड़ा हमरा सबले सटीक लागल आजु के लेख के मथैला डाले जोग.

भइल ई बा कि हिन्दी में कानून आ अदालतन से जुड़ल खबर देबे वाली वेबसाइट बार&बेंच पर आजु एगो खबर छपल बा कि जबले सात गो फेरा ना लीहल गइल होखे आ हिन्दू विधि-विधान से वेवाहिक समारोह ना भइल होखे तबले ओह विवाह के हिन्दू विवाह अधिनियम का तहत विवाह ना मानल जा सके.

कुछ नवही लोग आधुनिकता का दोड़ में शादी-बिआह के नौटंकी बतावत आसान राह खोज लिहले रहल. ई लोग कवनो संस्था से अपना बिआह के प्रमाणपत्र ले लेत रहुवे आ ओकरे आधार पर अपना बिआह के पंजीकृत करा लेत रहुवे. बाकिर अदालत के कहना बा कि अतने से काम ना चली आ वैवाहिक समारोह बिना भइल बिआह के हिन्दू विवाह मानले ना जा सके. भोज-भात, बैण्ड-बाजा-बारात त करहीं के पड़ी.

जस्टिस बीवी नागरत्ना अउर ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के खंडपीठ के आदेश में कहल गइल बा कि बिना समारोह भइल बिआह हिन्दू बिआह मानले ना जा सकी. अगर बाद में कवनो विवाद होखी त ओह समारोह भइला के सुबूत देखावे के पड़ी.

अदालत एही आधार पर अपना सोझा आइल तलाक, भरण-पोषण अउर आपराधिक कार्यवाही के रद्द कर दिहलसि. ई जोड़ा हिंदू रीति-रिवाज का मुताबिक बिआह ना कइले रहुवे आ एगो वैदिक जनकल्याण समिति से “विवाह प्रमाणपत्र” हासिल कर के उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 का तहत “विवाह के पंजीकरण का प्रमाण पत्र” ले लिहले रहुवे. अदालत एहू पर आपन नाराजगी जतवले बिया कि बेसमारोह भइल अइसन बिआहन के पंजीकरण कइसे हो जात बा.
अदातल कहलसि कि हिंदू विवाह के एगो पवित्र चरित्र हवे आ ई दू बेकत के आजीवन, गरिमा-पुष्ट, समान, सहमतिपूर्ण अउर स्वस्थ मिलन करावेला.

अदालत आपन बात अउरी साफ करत कहलसि कि बिअह गावे-नाचे, भोज-भात, पिए-पिआवे के मौका नौ होले. बिआह का नाम पर दहेज लिहलो-दीहल अपराध होलो. हिन्दू बिआह कवनो वाणिज्यिक लेनदेन ना होला. आ ई विवाह भारतीय समाज के एगो बुनियादी इकाई हवे.

अतना भूमिका पसरला का बादो अगर हम नदिया के पार के ऊ गाना ना सुनाईं जवना के मथैला बना के रउरा के ई सभ पढ़वनी त ई रउरा साथे अन्याय होखीय लीं अब गनवा सुन लीं जवना में रेघरियावल गइल बा कि जबले पूरे ना हों फेरे सात तब तक बबुनी नहीं बबुआ की –

चलत-चलत एगो सवाल कि खबर आ गीत-गवनई के ई फ्यूजन कइल रउरा कइसन लागत बा. एह तरह के फ्यूजन अबहीं ले हम कतहीं नइखीं देखले. अब ई फैशन बने लागे त हमरा अचरज ना होखी. आ एगो निहोरो कि एकरा के अपना सोशल समूहन पर साझा कर दीहल करीं.

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