भउजी हो !
ढेर दिन बाद लउकनी हऽ बबुआ. कहाँ अझूराइल रहनी हऽ ?
कहीं ना भउजी, बस अइसहीं समय बितावत रहनी ह. आजु भाजपा राजस्थानो के मुख्यमंत्री के एलान कर दिहलसि त सोचनी कि तहरो राय जान लीं.
ए बबुआ हम त इहे कहब कि तू जातिवादी त हम महाजातिवादी. तू डाल–डाल, त हम पात–पात. बाकिर अइसन कइल जरुरी हो गइल रहुवे.
काहे भउजी ?
जानते बानीं कि भाजपा के सबले बड़का ताकत हवे ओकर हिन्दुत्व आ राष्ट्रवादी विचारधारा. आ ओकरा एह ताकत के कमजोर करे खातिर देश के विरोधी गोल जातिवादौ सोच के आगे बढ़ा के भाजपा के राष्ट्रवादी आधार आ हिन्दुत्व के कमजोर कइल चाहत बाड़न. से कहले जाला कि जहर के काट जहरो से कइल जा सकेला. काँट निकाले खातिर काँटे के इस्तेमाल कइल जा सकेला.
बाकिर मोहन यादव यादवन के साम्राज्य कमजोर कर सकीहें का ?
ऐ बबुआ, मोहन यादव के बाबूजी के नाम का हवे ?
ई त हमरा मालूम नइखे. गूगल कर के पता लगा लेब.
ओकर कवनो खास जरुरत नइखे. अखिलेश एह से अखिलेश हो गइलें कि उनुकर बाबूजी मुलायम यादव रहलन आ तेजस्वी के तेज एही से बन पावल कि उनुकर बाबूजी रहलन लालू यादव.
बाकिर भउजी तहरा एही तर्क के काट में कहल जा सकेला कि मुलायम आ लालूओ के बाबूजी के नाम आम लोग के याद नइखे.
हँ बबुआ, आ एही चलते लालू लालू आ मुलायम मुलायम रहलें. अखिलेश आ तेजस्वी में ऊ बात आइए ना सके काहें कि एह लोग के सबकुछ एहीसे भेंटा गइल कि एह लोग के बाबूजी ताकतवर रहलें. समाजवादी गोल यादवन के गोल ना कहल जा सके आ राजदो के यादव गोल ना कहल जा सके. बाकिर मोहन यादव के मुख्यमंत्री बना के भाजपा आम यादवन आ अपना आम कार्यकर्तन के बता दिहलसि कि – ‘चलती चाकी देखि के हँसल कमाल ठठाय, कील पकड़ि के जे रहे कबो ना पीसल जाव.’
अगर तू अपना विचारधारा आ अपना पार्टी के हित के सोचल रहब त देर सबेर तहरो के अइसन मौका मिल सकेला. नेहरू–गाँधी–वाड्रा परिवार का चलते तहार जन्मजात अधिकार बन जाला अपना गोल पर. तोहरा गोल के आम मनई कबो सोचिए ना सके कि एकदिन तहरो नम्बर लाग सकेला.
बाकिर भउजी, खरगे आ मनमोहनो सिंह त नेहरू–गाँधी–वाड्रा परिवार से ना रहलें.
हँ बबुआ बाकिर एह लोग के समर्पण नेहरू–गाँधी–वाड्रा परिवार ला रहल बा. मजाल बा कि ई लोग कबो नेहरू–गाँधी–वाड्रा परिवार के इशारा महटिया सकसु.
हँ भउजी बाकिर, भाजपो में त केहू संघ परिवार के निर्देशन के उपेक्षा ना कर सके.
ठीक कहनी बबुआ. बाकिर संघ परिवार आ नेहरू–गाँधी–वाड्रा परिवार में एगो बड़हन अंतर बा. संघ परिवार कवनो परिवार के हित ला ना सोचि के, समग्र हिन्दू समाज ला आ राष्ट्र ला सोचला. बाकी राजनीतिक परिवार अपना परिवारे के हित–अहित सोचल काम करेलें.
तहार कहना त सौफीसदी सही बा भउजौ. चलऽ अब चाय पिआवऽ.
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