टटका खबर, बियफे, जेठ अँजोरिया सप्तमी, 2078 विक्रमी
एने कई दिन से ट्वीटर पर ट्वीटर का खिलाफ ट्वीटन के बाढ़ आइल बड़ुवे. आ एह बीच ट्वीटर के पैरवीकार बन के आइल बावे एगो हैण्डल जवन नाम त रखले बा इन्टरनेट फ्रीडम फाउण्डेशन बाकिर मकसद आम जनता के फ्रीडम बचावे के ना हो के ट्वीटर जइसन कंपनियन के दलाली कइल.
एगो ट्वीट में एह ईफ्फ (IFF) के कहना बा कि ट्वीटर के मिलल सुरक्षा कवच हटला के कवनो सवाले नइखे काहे कि अइसनका सुरक्षा कवच कबो भारत के कानून दिहलहीं नइखे.
एकर कहना बा कि सरकारी कानून मानेवाला सोशल मीडियन के जबाबदेही सरकार का कहला पर कवनो सामग्री के हटवले भर ले सीमित बा. प्रतिनिधियन के नाम पता सरकार के ना दीहल कवनो मुद्दा नइखे जवना आधार पर संरक्षण खतम हो जाव.
देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसादो के इहे कहना बा कि जवन सोशल मीडिया अपना स्थानीय प्रतिनिधियन के जानकारी समय रहते नइखे दिहले ओकरा बीचवनिया होखे का नाम पर मिले वाला संरक्षण ना मिल पाई आ ऊ सोशल मीडिया सगरी पोस्ट खातिर जिम्मेदार मानल जाई.
गाजियाबाद के एगो घटना पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करे का आरोप में यूपी सरकार ट्वीटर आ अउरिओ कुछ प्रकाशनन पर मुकदमा दर्ज कर लिहले बिया आ अब न्यायालय से ई बात तय हो जाई कि का होखी एह मीडियन के ? आ देश के न्यायममूर्तियन का बारे में केहू दावा से ना कह सके कि ऊ कब कवन फैसला करीहें. अकसरहाँ त इहे देखे के मिलेला कि देशद्रोहियन आ दंगा आरोपियन ला कानून दोसर रुख अपनावेला बशर्ते आरोपी हिन्दूत्व समर्थक ना होखे. हिन्दुवन आ हिन्दूत्व समर्थकन ला एह अदालतन के रुख कुछ अलगे होखेला. बुझाला कि देश के संविधान के प्रावधान हिन्दुवन आ गैर हिन्दुवन ला फरक फरक होला.
आ एह सब का पाछा बस एक कारण बा अरामजादा हिन्दुवन के बेवहार जे हिन्दू विरोधियन से सटल रहेलें.
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