डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति काल (2017–2021) का दौरान भारत-अमेरिका के बीच संबंधन में निरंतरता आ साझेदारी के कुछ नया आयाम दुनु के बिसेसता रहल. आम तौर पे द्विपक्षीय संबंध मजबूत भइल, हालांकि तनावो के क्षेत्र रहल, इहाँ एगो विश्लेषण दिहल गइल बा. –
संबंधन के सकारात्मक पक्ष
दुनों देशन के आपसी रक्षा संबंध के बहुते बढ़ गइल, जवना में कॉमकासा (संचार संगतता अउरी सुरक्षा समझौता) अउरी बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज अउरी सहयोग समझौता) जईसन बुनियादी समझौता प हस्ताक्षर भइल. एह समझौता से सेना के बीच इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ल आ बेहतर खुफिया जानकारी के साझा करे में सक्षम बनावल गइल.
एगो क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत के भूमिका आ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट जइसन वैश्विक निर्णय लेवे वाला निकाय में भारत के शामिल करे के अमेरिकी समर्थन के दोबारा पुष्टि भइल.
एह दौरान भारत अमेरिका के सबसे बड़ व्यापारिक साझेदारन में से एगो बनल रहल. द्विपक्षीय व्यापार में बिस्तार भइल आ 2019 ले ई लगभग 146 बिलियन डॉलर तक पहुँच गइल.
ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान से प्रायोजित, भारत-पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लेके भारत के रुख के समर्थन कइलस. 2019 में पुलवामा हमला के बाद ट्रंप भारत के कूटनीतिक समर्थन कइलें.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्रंप के संबंध सार्वजनिक तौर प सौहार्दपूर्ण रहे. ह्यूस्टन (2019) में “हाउडी मोदी” आ अहमदाबाद (2020) में “नमस्ते ट्रम्प” जइसन आयोजन एह लोग के साथी के प्रदर्शन कइलसि.
संबंधन के नकारात्मक पक्ष
ट्रंप प्रशासन के “अमेरिका फर्स्ट” नीति का चलते व्यापारिक तनाव पैदा हो गइल. अमेरिकी सामान के बाजार में अपर्याप्त पहुँच के हवाला देत अमेरिका 2019 में जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस (जीएसपी) के तहत भारत के तरजीही व्यापार के दर्जा छीन लिहलस.
दुनों राष्ट्र के ओर से लगावल गइल टैरिफ का चलते कृषि सामान, चिकित्सा उपकरण अउरी डिजिटल व्यापार पर मतभेद पैदा भइल.
ट्रंप प्रशासन के दौरान एच-1बी वीजा नीति में कड़ाई के प्रतिकूल असर भारतीय आईटी प्रोफेशनल प पड़ल, जवन कि अमेरिका में भारत के प्रवासी लोग के एगो महत्वपूर्ण हिस्सा ह.
कुछ अमेरिकी विधायक आ संगठन नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) आ जम्मू में अनुच्छेद 370 के निरस्त कइल जइसन मुद्दा के भारत के निपटारा पर चिंता जतवले.
पेरिस जलवायु समझौता से ट्रंप प्रशासन के वापसी से भारत के अक्षय ऊर्जा आ जलवायु परिवर्तन के कम करे के प्रतिबद्धता पर बिपरीत प्रभाव पड़ल, जवना चलते एह क्षेत्र में भारत के आर्थिक कठिनाई के सामना करे के पड़ल.
निष्कर्ष
ट्रंप के राष्ट्रपति पद से खासकर रक्षा, आतंकवाद निरोधक, आ सामरिक सहयोग में भारत-अमेरिका के सम्बन्ध मजबूत भइल. हालांकि व्यापार में अमेरिकी उत्पाद पर भारत के द्वारा ज्यादा कर लगवला के ट्रम्प बिरोध कइलन, अउरी अमेरिका फर्स्ट नीति का चलते भारतीयन के आप्रवासन में बाधा उत्पन्न भइल. लेकिन समग्र रूप से भारत-अमेरिका के सम्बन्ध सकारात्मक रहल. एह तरह से ई निष्कर्ष पर पहुँचल जा सकेला कि ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका के साथे भारत के संबंध नुकसानदेह से ज्यादा फायदेमंद रहे. एहसे हमनी के उमेद कर सकेनी जा कि डोनाल्ड ट्रम्प के अगिला कार्यकालो में भारत आ अमेरिका के संबंध अउरी मजबूत हो जाई.
(शिवेन्द्र)
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