दइब टेढ़ भइले करमवो बा फूटल : गजल

paati78cover

– रामयश अविकल

चलीं ई सबुर के बन्हल-बान्ह टूटल
कमाये बदे आज घर-गाँव छूटल।
मिलल मार गारी, मजूरी का बदला
सरेआम अब आबरू जाय लूटल।
भवन तीन-महला शहर में बा उनकर
हमन के त झाँझर पलनियो ले टूटल।
इहाँ दाल-रोटी चलल बाटे मुस्किल
दइब टेढ़ भइले करमवो बा फूटल।
दबंगन के बा हर जगह जुल्म माफी
अबरकन के भाई-भवद बाटे रूसल।

(भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका ‘पाती के 78 वां अंक’ से साभार)

0 Comments

Submit a Comment

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।