ना रही बाँस ना बाजी बाँसुरिया

– अभय कृष्ण त्रिपाठी “विष्णु”

AbhayTripathiVishnu

सच बोलहू में अब सवाल हो रहल बा,
खुदके मिटावे खातिर बवाल हो रहल बा,
ना रही बाँस ना बाजी बाँसुरिया ऐ विष्णु,
कफ़न ओढावे खातिर कमाल हो रहल बा़॥

महाभारतानुसार अब गुरु शिक्षक हो रहल बा,
आस्था के सामने धरम भिक्षुक हो रहल बा,
मत उझरी जिनगी के चक्रव्यूह में ऐ विष्णु,
सूरजो अब अंधकार के रक्षक हो रहल बा॥

नफरत के नींव पर बइठ चाहत बा प्यार करीं,
हद मउत के बता कहत बानी कि सत्कार करीं,
हमहू इंसान बानी सब काहे भुला जाला विष्णु,
रावण होके उम्मीद बा इंसान के विस्तार करीं॥

0 Comments

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।