पापी हो गइल मनवा

– अभय कृष्ण त्रिपाठी

पापी हो गइल मनवा कइसे करीं राम भजनवा,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

आइल बानी द्वार तिहारे,

मन ही मन में रजनी पुकारे,

पुलकित होवे ला मदनवा,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

दाता के भंडार भरल बा,

जियरा देखीं सगरे गरल बा,

प्राणी दे ता परनवा,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

माई हो गइल रानी दुलारी,

बिटिया लागे लागल प्यारी,

बहिना हो गइल जियावन,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

कलयुग के आगाज इहे बा त का होई अंजाम,

कुछ तऽ बो लऽ प्रभु हमारे कइसे लड़ी संग्राम,

पाप घड़ा के छोटा कर दीं ना तऽ मची कोहराम,

हो जाई जब सबहीं रावण केहु ना पुकारी राम,

केहु ना पुकारी राम…राम…राम… हे राम…,

रह जाई बस सिवनवा,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

पापी हो गइल मनवा कइसे करीं राम भजनवा,

प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा..

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