पश्चिम बंगाल के नन्दीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार चुकल ममता बनर्जी आजु तिसरा बेर मुख्यमंत्री के पद सम्हार लिहली. पद सम्हरला का बाद ऊ साफ कह दिहली कि राज्य में हो रहल हिंसा रोकल ओतना जरुरी नइखे जतना कोरोना पर काबू पावल. एहसे उनुकर पहिल प्राथमिकता रही कोरोना पर काबू पावल.
अब कहे वाला त कहबे करीहें कि हिंसा में मारल जात लोग चूंकि उनुका विरोधी गोल के हवे बाकिर कोरोना उनुको गोल के लोग के हो सकेला. अगर कवनो व्यवस्था रहीत कि उनुका गोल के लोग के कोरोना छूत ना छुइत त शायद उनुका ला कोरोनो प्राथमिकता ना रहीत.
अगर राजनीतिक शुचिता के मापदण्ड से देखल जाव त ममता के अपने मुख्यमंत्री ना बन के कवनो दोसरा विधायक के मुख्यमंत्री बनवावल चाहत रहुवे. ठीक बा कि संविधआन में अइसन कवनो बाध्यता नइखे कि जीतले विधायक मुख्यमंत्री बनी. बनला का छह महीना का भीतर ऊ विधायक भा विधानपार्षद बन के ओह पद पर बनल रहि सकेला. बाकिर टटका टटका चुनाव हारे वाला निवर्तमान मुख्यमंत्री ला नैतिकता के तकाजो के कुछ महत्व रहे के चाहीं.
जानत बानी कि हमरा टरटरइला से कवनो अंतर नइखे पड़े वाला. ओतने नैतिकता रहीत त आजु बंगाल में विरोधी खेमा के लोग के हत्या, लूटमार, बलात्कारो ना होखीत. एहिसे देश के महान महान पत्रकारन का तरह हमरो एह मामिला पर चुप्पी साध लेबे के जरुरत बा. जब ओहिजा होखत हिंसा से नरेन्द्र मोदी. अमित शाह, आ भाजपा के सांसद विधायकन पर कवनो असर नइखे लउकत त आम आदमी के कवन बिसात.
बधाई होखो ममता जी, हो सको त बंगाल के विपक्ष विहीने बना दीं. बँवारा आ कांग्रेसी गोलन के त उधियाइए दिहले बानी.
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