बतकुच्चन – ५५


हमरा लागत बा कि जवन हो रहल बा से ना होखे के चाहत रहुवे, जवन कहल सुनल जात बा से ना कहल सुनल चाहत रहुवे. काहें कि एह सबसे दुश्मन के सेतींहे हमनी के कमजोरी भेंटा जात बा. सेंत मेंत में हमनी का आपन कमजोरी दुनिया के देखवले बतवले जात बानी जा. हँ, बात कहत बानी सेना से जुड़ल बातन के आ हमार इहे कहना बा कि जवन भइल से ना होखे चाहत रहुवे. एगो पुरान कहावत ह कि “बिना बोलवले बरुआ बोले, बिना हवा के पीपर डोले.” बे जरूरत ना बोले के चाहीं आ ई बात मीडियो पर लागू होखेला, खाली बतकुच्चन वाला के छोड़ के. काहे कि हम साफ बता के बतकुच्चन करीलें. कवनो डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट के मेंम्बर का तरह ना. सेतींहे के मतलब होला फोकटे में, बिना कवनो दाम लिहले, बिना कवनो आपन मतलब सधले. एह सेतींहा खातिर सेंत मेंत शब्दनो के इस्तेमाल होखेला ठीक ओही तरह जइसे कि चाय वाय में. जइसे वाय के मतलब ना निकले ओही तरह मेंत के ना निकले. बाकिर इहो नइखे कि मेंत भा वाय जइसन शब्द बिना मतलबे जोड़ल रहेला. ऊ अपना पहिले वाला शब्द के अउरी भरियावेला, ओकर मान बढ़ा देला. अब सेतींहे जइसन शब्द होला सितुहा. देखले बानी कबो? सितुहा एक तरह के जीव के उपरी खोल होला जवना के इस्तेमाल चुहानी में, रसोईघर में, चूहादानी में ना, लउकी छीले खातिर होला. एहू पर एगो कहाउत बा कि “कदुआ पर सितुहो चोख!” मुलायम चीझु बतुस पर सितुहा लेखा साधारणो हथियार चोख, धारीदार, हो जाला. भोजपुरी के चोख बंगला के चोख से फरका मतलब राखेला. चक्षु से चोख निकलल बाकिर सितुहा वाला चोख के मतलब धारदार होखला से बा. से आदमी के अतना मुलायमो ना हो जाए के चाहीं कि ओकरा पर सितुहो चोख बन जाव. आपन कमजोरी आपन पीड़ा लुका दबा के राखे के चाहीं. रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय, सुनी इठलइहें लोग सब, बाँटि न लीहें कोय. अपना मन के दरद केकरा से देखावल जाव. केहू ओकर समाधान त निकाली ना हँ रउरा पर तंज जरूर कस सकेला. आ जब राउर कमजोरी दुश्मन जानी त ओकरा त खुशिए होखी. बाकिर एह पूरा प्रकरण में केकरा के दोष दीं केकर पक्ष लीं से नइखे बुझात. बस फेर एगो भोजपुरी कहाउत याद आवत बा कि “केकर केकर लीहीं नाम, कमरी ओढ़ले सगरी गाँव.” हर पक्ष, चाहे ऊ सेना होखे, सरकार होखे, मीडिया होखे, सभे एहमें ओतने दोषी बा. इहो कहल जाला कि “जेकरा नोहे ना होखी से बखोरी का?” मतलब कि ई हमनी के आजाद व्यवस्था बा जवना चलते हमनी का हर मुद्दा पर खुला में बतिया लेत बानी. पड़ोसी जइसन हालात नइखे हमनी के देश के जहाँ सेना के कहल हर बात कानून जइसन होखेला. बाकिर अतना त जरूर अफसोस बा कि “आपन धियवा नीमन रहीत त बिरान पारीत गारी?” आपन दोष आपन कमी ना रहीत त दोसरा के अतना कहाँ से बेंवत कि ऊ हमनी के दोष लगा दीत, हमनी पर हमला कर दीत. आ जब कवनो राजा अपना सेनापति के लांछित करे में लाग जाव त ओह राज के भगवाने मालिक होखीहें. एहसे बाति एही पर खतम करब कि डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट के छूट्टी पर भेजल जाउ. पिछला दिने जवन खबर अखबार में आइल रहे ओहसे जवना ओर इशारा कइल गइल से सेना करिए ना सके अतना भरोसा जरूर ओकरा पर होखे के चाहीं.

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