आजु जब हम ई बतकुच्चन लिखे बइठल बानी त खबर चल रहल बा कि सुप्रीम कोर्ट करिया धन पर स्पेशल जाँच दल बना दिहले बिया. ओकर कहना बा कि सरकार बिना खरकोंचले कुछ करत नइखे. हँ हँ मानत बानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश में खरकोंचल शब्द नइखे बाकिर मतलब त इहे बा. ई खरकोंचल अंगरेजी के पोक भा खोदल से फरका हवे. पोक कइला में भा खोदे में बस सामने वाला के उकसावे के मकसद रहेला. बाकिर नोकिला सिरा वाला लकड़ी भा बाँस के खरकोंचाह टुकड़ा से खोदला के खरकोंचल कहल जाला. खरकोंचाह माने जवना से खरकोंच पड़ जाव. एही खरकोंच के छोटहन रूप हिन्दी में इस्तेमाल कइल जाला जवना के खरोंच कहल जाला. अब खरोंच से खरकोंच बनल कि खरकोंच से खरोंच एह पर कुछ लोग सवाल उठा सकेला, खास कर के ऊ लोग जे भोजपुरियन के खरकोंचे में माहिर होले. एक से एक फूहड़ गीत हिन्दी सिनेमा में देखावल जाले बाकिर कहेला लोग कि भोजपुरी सिनेमा बहुते फूहड़ हो गइल बा. खैर अबही हम विषय बदलल नइखी चाहत. त अब सुप्रीम कोर्ट के खरकोंचला से सरकार के देह पर खून छलछला गइल बा आ विपक्षी दल ओह खून के गंध से जीभ लपलपावल शुरु कर दिहले बाड़न. अगर ओह लोग के बस चलीत त एह सरकार के धकिया के सत्ता के कहिये हथिया लिहले रहीत लोग. गनीमत बा कि ओह लोग के सपना पूरा होखे में अबही देरी बा. हँ त खरकोंच आ खरोंच के विवाद में एगो अउरी बात याद आ गइल. बहुते लोग के ई भरम बा कि भोजपुरी हिन्दी से निकलल भाषा हियऽ. कुछ लोग जे तनी नरम होला से भोजपुरी आ हिन्दी के बहिन बता देला. बाकिर एहिजा ई साफ कर दिहल हम जरूरी समुझत बानी कि भोजपुरी हिन्दी से एकदम अलगे बढ़ल बिया. हिन्दी त बहुते बाद के भाषा हियऽ. भोजपुरी के जनम हिन्दी से बहुते पहिले हो चुकल रहे बाकिर राजनीति का खेल में हिन्दी भारी पड़ल आ ऊ बहुते आगा निकल गइल. जइसे कि हिन्दुस्तान आ जापान के करीब करीब एके साथ आजादी मिलल रहे बाकिर देखीं आजु जापान कहवाँ बा आ हिन्दुस्तान कहवाँ !
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