– गनेश जी “बागी”
बाबूजी सिखवले दुःख सहीहs अपार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार,
गलती ना करीहऽ अइसन, पिटे पड़े कपार,
दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई बस प्यार.
बहुते आसान होला, दिल के दुखावल,
दोसरा के कइला में, गलती निकालल,
अपना पे पड़े जब, धुने लोगवा कपार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार.
दिल के तू भोला बाड़s, सीधा तोहार जीवन,
चिकन चिकन मीठ बोली, लागे तोहके नीमन,
नाही पहिचनलs उनके, बाड़न बड़ कलाकार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार.
अइसन ऊ घात कइलन, प्यार के उपहास कइलन,
धनवो के हाँस कइलन, विश्वास के नाश कइलन,
देखs उनका मन मे कइसन, भरल अहंकार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार.
बाबूजी सिखवले, दुःख सहीहs अपार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार,
गलती ना करीह अइसन, पिटे पड़े कपार,
दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई बस प्यार.
महाबीर घाट, बलिया, उत्तर प्रदेश – 277001
bahut hi badhiya likhale bani ganesh bhaiya…ek ek line me wo baat baa jaun sachai ke parichit karawat baa…..
निया में कुछु ना रही, रह जाई प्यारs ,
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बड़ा ही आसान होला, दिल के दुखावल,
दोसरा के कईलाs में, गलती निकालल ,
अपना पे जब पड़ी जाला,धुनेs लोगवा कपारs,
कबो ना करिहs बबुआs, केकरो प वारs ,
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बाबूजी सिखवलेs दुःख, सहीहs अपार ,
कबो ना करिहs बबुआs, केकरो प वारs ,
गलती ना करिह अइसन,पिटे पड़े कपारs,
दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई प्यारs , ……………………गनेश भाईजी, आपके ए रचना के जबाब नइखे, मीठे-मीठे सरल शब्दन में आप जीवन के सार कहि देले बानी। बहुत खूब…………दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई प्यारs
Babuji ke sikh, bari nik ba.ehe aapan mati
ke rit Ba.
Prit ke mit banav more bhaia,yehi me jiwan
ke jit ba.
Bagi gi raur kavita bari nik lagal
Geet kar
O.p.amritanshu
बाबूजी सिखवले दुःख सहीहs अपार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार,
गलती ना करीहऽ अइसन, पिटे पड़े कपार,
दुनिया में कुछु ना रही, रह जाई बस प्यार.
bahut badhiya, bhai ji
Babuji hamesha nimane sikhawelan, lekin beta ji sikh lesh ta wara nyara
Tani patna ke v naam ……………
बहुते आसान होला, दिल के दुखावल,
दोसरा के कइला में, गलती निकालल,
अपना पे पड़े जब, धुने लोगवा कपार,
कबो ना करीहs बबुआ, केकरो प वार.
bahut nik, likhat rahin.sadhuvad
santosh patel
सुन्दर सन्देश देता हुआ सुन्दर गीत…
sunder ati sunder man bhawan
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय प्रभाकर पाण्डेय जी, ओमप्रकाश अमृतांशु जी, संतोष पटेल जी ,रवि कुमार गुरु जी ,मित्र प्रीतम तिवारी जी, राणा प्रताप जी और सतेन्द्र उपाध्याय जी , रौवा सब के प्यार ही बा कि बागी कुछ लिखत बा , रौवा सब के टिप्पणी हमारा बिटामिन बी काम्प्लेक्स के काम करे ला आ नया लिखे के प्रेरणा मिलेला , एक बार फिर धन्यवाद,