भईंसिया केकर दूहाइल
✍️ – अंजोरिया डेस्क
#tariff_war #टेरिफ #कृत्रिम_विद्वता
जब से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप दुसरका बेर राष्ट्रपति चुनाव जीतल बाड़न तबे से अमेरिके ना सगरी दुनिया में सगरो इहे चरचा बा कि ट्रम्प सरकार के टेरिफ केकरा पर लागी, कतना लागी, कमाई के गँवाई के. केकरा से होखी भरपाई एकर भा भइंसिया केकर दूहाई ? दुश्मन त छोड़ीं अमेरिका के दोस्तो कहाए वाला देशन के बैण्ड बजा दिहले बाड़न ट्रम्प. शुरु त कइलन चीन के नाम से बाकिर ओकरो ले बेसी टेरिफ ठोक दिहलन जापान आ दक्खिन कोरिया पर. पता ना कइसे अबहीं ले भारत एहसे बचल बा! हो सकेला कि ट्रम्प सहिये कहले रहलन कि मोदी इज ए टफ निगोशिएटर!
एही दौरान ट्रम्प सरकार आपन तुतुही बजा दिहलसि कि एह टेरिफ के कमाई से अमेरिकी सरकार का खजाना में एक सौ अरब डॉलर से बेसी के कमाई भइल बा. बाकिर सवाल ई बा कि 100 अरब डालर वसूलाइल केकरा से बा ? कुछ दिन पहिले एगो लेख लिखले रहनी कि – तू हमरा थरिया में मीट खइलऽ त हम तहरा थरिया में गूह खाएब. वइसने कुछ हालात हो गइल बा अमेरिका के. चललन त ई सोचि के कि दुनिया के बैण्ड बजा देब बाकिर अमेरिके के जनता आ कारोबारियन के बैण्ड बाज गइल बा. आजुए आइल अमेरिका के मँहगाई के रपट देखावत बा कि महँगाई फेरू बढ़े लागल बा अमेरिका में. आखिर ई 100 अरब डालर आई कहँवा से!
असल में टेरिफ, भारत में एकरा के कस्टम ड्यूटी का नाम से जानल जाला – के वसूली ओह देश भा कंपनी से जहँवा से कवनो उत्पाद आवत बा ना होके ऊ उत्पाद आयात करे वाला आ ओकर उपभोग करे वालन से वसूलल जाला. टेरिफ भा कस्टम ड्यूटी के मकसदे ई होला कि विदेश से आवे वाला सामान महँग मिले जेहसे स्थानीय उत्पादकन के उत्पाद के खपत बेसी होखल करे. दोसरा तरफ निर्यात करे वाला देश के निर्यात घटे लागेला काहें कि टेरिफ भा कस्टम ड्यूटी से ओकर निर्यात महँग होखे लागेला आ ओकर खरीददारन में कमी आवे लागेला. यह समस्या से निबटे ला निर्यातक देश अपना स्थानीय उत्पादक कंपनी भा किसान भा व्यवसाई के आर्थिक समर्थन करे लागेला. ओकर कोशिश होला कि ओकर निर्यात आयातक देश के उत्पाद का मुकाबिले सस्ता लागे भा होखे.
अमेरिकी सरकार ई त डुगडुगी बजवलसि कि टेरिफ से ओकर कमाई 100 अरब डालर बढ़ गइल बाकिर ई नइखे बतावत कि ऊ अपना देश के कंपनियन आ किसानन के कतना हरजाना चुकवलसि. आम मनई खातिर त ई नुकसाने के सौदा बन गइल बा. एक त ओकरा हर सामान महँग खरीदे के पड़ रहल बा दोसरे बाहर से आवे वाला सामान के कमी का चलते ओकरा सोझा के विकल्पो घट गइल बा.
जवन अमेरिकी कंपनी अपना ला कच्चा माल दोसरा देश से मँगवावत रहलें उनुका अब बेसी दाम देबे के पड़ रहल बा जवना चलते ओकर लागत बढ़ गइल बा. अब एह बढ़ल लागत के भरपाई त ओकरे से करवावे के होखी जे ओकर उत्पाद खरीदी.
एही मुद्दा पर आजुकाल्ह के जरुरत बनल जात कृत्रिम विद्वता के उपयोग देखल आजमावल चहनी त ऊ हमरा के एगो कविता भोजपुरिए में लिख भेजलसि.अबहीं ओकर भोजपुरी के शैली अंजोरिया के शैली से बढ़िया से मेल नइखे खात. कहले जाला कि तीन कोस पर पानी बदले पाँच केस पर बानी! रउरो ओकरा कविता के आनन्द लीं –
टेरिफ के मार
(व्यंग्य कविता मशीन के रचल)
टरम्प जी बजा दिहलन ढोल,
बोललन दिहनी चीन के खोल!
“टेरिफ लगाईं, टैक्स गड़ाईं,
अमेरिका के सिरजन हरवाईं!”बाकिर भईल का, सुनऽ कहानी,
महँगी बढ़ल, जेब में पानी.
टूथपेस्ट से लेके टीवी ले,
हर चीज़ पर टेरिफ लागत हवे!“चीन से बदला लिहनी हम,”
ई कहि के बजा दिहनी दम.
बाकिर किसान के फसल सड़ल,
मकई के मोल धँसल-गड़ल.छोटका व्यापारी रोवे लगलें,
खरचा से थर-थर काँपे लगलें.
कस्टमर कहें — “भइया ना,
एतना महँगा खाइब ना!”सरकार कहलसि — “हम कमईनी!”
जनता बोलल — “हम गँवाईनी!”
$100 अरब खजाना गिनाईल,
बाकिर पेट भूखे धधकाईल.ई टेरिफ ना, ‘टराफ’ रहल,
घर-घर में सभे सराप रहल.
ना ई लाठी, ना ई गोली,
चुप करावऽ टरम्प के बोली!
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