भउजी हो! भोज देबेे आ भोजन करावेे मेें का फरक होला ?


भउजी हो!

का बबुआ ?

भोज देबेे आ भोजन करावेे मेें का फरक होला ?

उहे जवन बीमा आ मुआवजा मेें होला !

का भउजी, ई कवन जवाब ह ? ई त उहेे हो गइल कि केहू से पूछल जाव कि तोहार घर कहवां बा आ ऊ कहे कि चौक का सोझा. आ जब पूछल जाव कि चौक कहाँ बा त कह देव कि हमरा घर का सोझा !

ऐ बबुआ, रउरा के हम तहिया सेे देखत बानी जब राउर मोछो ना निकलल रहुवेे.अब त मोंछ पाक गइल बाकिर राउर बालक बुद्धी ना गइल अबहीं लेे !

भउजी तू हर बात केे बतंगड़ काहेे बना देलू ?

एहसे कि रउरा बतंगड़ के बात निकाल देनी. रउरा हमरा से भोज देबे आ भोजन करावे केे फरक पूछे नइखीं आइल. रउरा हमरा से पूछल चाहत बानी कि बीमा आ मुआवजा मेें का अन्तर होला.

चलऽ त एकरेे जबाब दे दऽ.

उहे जवन भोज देबेे आ भोजन करावेे मेें होला !

हँ त बिना ई बतवले कि बीमा आ मुआवजा में का फरक होला तू सीधे हमरा के इहे बता दऽ कि भोज देबे आ भोजन करावेे मेें का फरक होला.

जब हम रउरा केे रसोई में बना केे सोझा बइठा के भोजन कराईं त ऊ भोजन होला. आ जब हम रसोईया राखि के भोजन कराईं त ऊ भोज करावल हो जाला. भोजन करावेे खातिर ना त कवनो आयोजन होला ना प्रयोजन. बाकिर भोज देबेे का पीछेे प्रयोजनो होला आ आयोजनो ! दूनु में हमरेे खरचा होला आ दुनू से राउरो पेेट भर जाला. छूरी खरबूजा पर गिरेे भा खरबूजा छूरी पर कटी त खरबूजे नू.
अब सरकार अपना कर्मचारी के कवनो वारदात मेें मुअला पर मुआवजा देव भा एकरा खातिर ओकर बीमा करा देेव, बतिया त एकही बा कि ओह कर्मचारी के घर परिवार केे परवरिश पहिलहीं जइसन होत रहो. दुनू में सरकारेे का खजाना से खरचा जाला. फरक होला त बस ईहे कि मुआवजा देबेे मेें सरकारी फाइलन के आवाजाही में मामिला अझूरा सकेला बाकिर बीमा करवला में अइसन ना होखेे. दू फरीक का मामिला में तिसरका के पंच बनवला के फायदा इहे होला कि ओह पंच के दुनू फरीक पंच मार सकेेलेें अगर कवनो गड़बड़ी भइल त!

चलऽ भउजी बूझा गइल भोजन करावेे आ भोज देबे केे फरक.

बाकिर उनुका केे त हमहूं ना बुझा सकब कि बीमा आ मुआवजा मेे का फरक होला. ई मोदी जानसु भा उनुकर आइटी सेेल वालेे. भोजपुरी में अइसहीं ना कहाव कि बुड़बक बुझावे से मरद !

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