आजु इलाहाबाद हाईकोर्ट श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर से नाजायज कब्जा हटवावे के गोहार लगावत भक्तन के बाति मान लिहलसि आ आदेश दे दिहलसि कि मथुरा के शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण करे खातिर एगो कमिश्नर नियुक्त कइल जाव. सर्वेक्षण कब से शुरु होखी एकर कवनो तारीख अबहीं सामने नइखे आइल.
एह मामिला पर आपन बात कहला से पहिले हम इयाद कइल आ करावल चाहत बानी महाभारत. तब दुर्योधन का सोझा एगो समझौता प्रस्ताव ले के श्रीकृष्ण स्वयं गइल रहलें कि पाण्डवन के पाँच गो गाँव दे दीहल जाव आ बाकी पूरा राज कौरवने का लगे रहि जाव. बाकिर सत्ता मद में आन्हर दुर्योधन एह प्रस्ताव के एकदम से नकार दिहलसि आ ओकरा बाद जवन भइल तवन महाभारत इतिहास बन के सभका सोझा बा.
अइसने प्रस्ताव हिन्दुवन का तरफ से मुस्लिम पक्ष का सोझा राखल गइल रहुवे कि भगवान श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या, भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा, आ भगवान शिव के धाम काशी विश्वनाथ पर से मुस्लिम पक्ष आपन दावा वापस ले लेव आ ई तीन गो स्थल हिन्दुवन के सौंप देव. बाकिर कांग्रेस के पृष्ठपोषण का मद से आन्हर बनल मुस्लिम पक्षकार एह प्रस्ताव के ना मनलन. आ ओकरा बाद सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़िके भगवान रामजन्म भूमि पर हिन्दुवन के अधिकार मिल पावल ओह जगहा पर एगो भव्य मंदिर बनवावे के. तब हिन्दुवन के नाराज वर्ग खुलेआम कहबो कइलसि कि एकदिन उहो आई जब उद्घोष होखी कि – तीन नहीं अब तीस हजार, नहीं बचेगी एक …. नारा से सभे परिचिते होखी एहसे ओकरा के दोहरवला के जरुरत नइखे, बाकिर रेघरियवला के जरुर बा.
अइसने एगो अउर नारा याद पड़त बा. मौका रहुवे बनारस में भइल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन के. ओह सम्मेलन में शामिल होखे देशभर से कार्यकर्ता आइल रहलें आ प्रभात फेरी खातिर हर राज्य के टुकड़ी आपन-आपन नारा बनवले रहुवे. संजोग से बिहार के कार्यकर्ता एगो भोजपुरी नारा बनवले रहलें जवन बाद में चलि के बहुते विख्यात हो गइल. नारा रहुवे – भारत में यदि रहे के बा त वन्दे मातरम कहे के होई, दादागिरी सहे के होई, हिन्दू बनि के रहे के होई. ई नारा बहुते उत्तेजक रहल बाकिर जब न्याय मिले के उमेद कम रहेला त मनई अन्यायो का राहे चले के तइयार हो जालें.
काश अबहियों से मुस्लिम पक्षकार एह तरह के विवाद हमेशा खातिर खतम करा के देश में साम्प्रदायिक सद्भाव के लहर चला सकेलें. बाकिर का अइसन हो पाई ? ई एगो बड़हन सवाल बा जवन देश के दशा-दिशा तय कराई.
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